भारत का आतंक पर कभी न भूलने वाला प्रहार

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये भारत ने साबित कर दिया है कि वह अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं बल्कि आतंक के स्त्रोतों पर निर्णायक और सर्जिकल प्रहार करने वाला राष्ट्र बन चुका है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जिस तरह भारत ने सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों पर निशाना साधते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, उसने न केवल पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई बल्कि भारत की नई सैन्य नीति को भी स्पष्ट कर दिया कि अब हम चुप नहीं बैठेंगे बल्कि हम आतंक के जन्मस्थल तक जाएंगे और वहां आग लगाएंगे। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह उस बदले हुए भारत की घोषणा थी, जो अब बातों से नहीं, बमों से जवाब देता है, जो कूटनीति की किताब बंद करके अब अपने लड़ाकू विमानों और मिसाइलों की बोली में संवाद करता है। भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकियों के अड्डों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तो यह महज जवाबी हमला नहीं था, यह स्पष्ट संदेश था कि भारत अब किसी आतंकी की मांद को भी सुरक्षित नहीं छोड़ेगा, चाहे वह सरहद के इस पार हो या उस पार।ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य स्पष्ट था, उन स्थानों को ध्वस्त करना, जहां से भारत में आतंक का बीज बोया जाता है। पहलगाम हमला, जिसमें हमारे निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया, उसकी साजिश कहीं और नहीं, पाकिस्तान की फौज, आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा जैसों की सांठगांठ से ही तैयार की गई थी। भारत ने न केवल इस साजिश को समझा बल्कि उसे जड़ से उखाड़ने की भी ठान ली है। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने जिस साहस, रणनीति और सटीकता का परिचय दिया, वह दुनिया के किसी भी शीर्ष सैन्य बल को चुनौती देने के लिए पर्याप्त है। पाकिस्तान हमेशा से ही दोहरी भूमिका निभाता रहा है, एक ओर वह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर शांति और वार्ता की बात करता है तो दूसरी ओर अपने क्षेत्र को आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में प्रयोग करता है। भारत ने अब उस नकाब को पूरी तरह नोच फेंका है। ऑपरेशन सिंदूर ने बता दिया कि भारत अब उन भाषणों या प्रस्तावों से संतुष्ट नहीं होगा, जो संयुक्त राष्ट्र में दिए जाते हैं बल्कि उन बंकरों को नेस्तनाबूद करेगा, जहां से ये षड्यंत्र जन्म लेते हैं।इसे भी पढ़ें: भारत ने आर्थिक प्रगति के बल पर आतंकवादी ठिकानों को किया नेस्तनाबूदभारत द्वारा यह कार्रवाई अचानक नहीं की गई बल्कि पहले खुफिया एजेंसियों के माध्यम से आतंकियों की गतिविधियों की पूरी जानकारी जुटाई गई। सैटेलाइट इमेजिंग, मानव खुफिया नेटवर्क और तकनीकी निगरानी के जरिये भारत को यह स्पष्ट हो गया था कि पाक अधिकृत कश्मीर में कुछ स्थान आतंकियों के लांच पैड के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह भी सामने आया कि हालिया पहलगाम हमले की योजना भी यहीं से बनाई गई थी। भारत की यह नीति अब ‘हिट ऐंड होल्ड’ की है कि हमला करो, कब्जा करो और दबाव बनाए रखो। इस ऑपरेशन में सबसे प्रभावशाली बात यह रही कि भारतीय लड़ाकू विमानों ने रात के अंधेरे में बेहद सटीकता से अपने लक्ष्य साधे और सीमित समय में वहां से निकल आए। यह ‘नो वॉर्निंग, नो वॉर’ रणनीति का आदर्श उदाहरण था। पाकिस्तान के वायु रक्षा तंत्र को भनक तक नहीं लगी और जब तक वहां के सैन्य प्रतिष्ठान कुछ समझ पाते, तब तक भारत अपना काम करके वापस लौट चुका था।इस ऑपरेशन में केवल आतंकी ठिकानों को ही नहीं, उन ठिकानों को भी निशाना बनाया गया, जहां से उन्हें रसद, हथियार और प्रशिक्षण दिया जाता था। यह केवल आतंकियों के खिलाफ नहीं बल्कि आतंक को संरक्षण देने वाली पूरी पाकिस्तानी सैन्य और खुफिया संरचना के खिलाफ कार्रवाई थी। यही कारण है कि पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य गलियारों में इस ऑपरेशन के बाद सन्नाटा छा गया। हालांकि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पूर्वानुमेय थी, पहले इन्कार, फिर विक्टिम कार्ड खेलना और अंत में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाना लेकिन अब वैश्विक परिदृश्य बदल चुका है। अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अन्य लोकतांत्रिक देश भारत के साथ खड़े हैं। आतंक के प्रति उनकी नीति अब स्पष्ट है कि जो आतंक को शरण देगा, वह खुद सुरक्षित नहीं रहेगा। इसीलिए, भारत द्वारा किए गए इस ऑपरेशन को विश्वभर में नैतिक समर्थन और वैधता प्राप्त हुई है।यह भी ध्यान देने योग्य है कि ऑपरेशन सिंदूर का सैन्य पक्ष जितना शक्तिशाली था, उतनी ही मजबूत उसकी कूटनीतिक तैयारी भी थी। भारत ने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंक समर्थक चेहरे को उजागर कर दिया था। एफएटीएफ जैसे मंचों पर पाकिस्तान की असफलताएं जगजाहिर हैं। ऐसे में भारत का यह सैन्य कदम उस लंबे कूटनीतिक संघर्ष का परिणामी वार था, जिसे वर्षों से संजोया जा रहा था। ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी दिखा दिया कि भारत अब केवल एलओसी तक सीमित नहीं है। यदि आवश्यक हुआ तो भारत नियंत्रण रेखा पार करके भी अपने हितों की रक्षा कर सकता है। यह नीति पाकिस्तान के लिए स्पष्ट चेतावनी है कि यदि उसने अब भी अपने घर में पल रहे आतंकी सांपों को दूध पिलाना बंद नहीं किया तो अगली बार भारत उनके बिलों तक पहुंचेगा और उन्हें वहीं खत्म करेगा। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत की सैन्य क्षमता अब केवल परंपरागत युद्धों तक सीमित नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में जिन हथियारों और तकनीकों का उपयोग किया गया, उनमें राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, ड्रोन निगरानी, रियल टाइम सैटेलाइट डेटा और बंकर भेदी बम शामिल थे। यह सब कुछ दर्शाता है कि भारत अब एक आधुनिक, आक्रामक और निर्णायक सैन्य शक्ति बन चुका है।पाकिस्तान की अब तक की रणनीति यही रही है कि वह भारत के धैर्य की परीक्षा लेता रहे और भारत केवल विरोध या चेतावनी तक सीमित रहे लेकिन अब वह दौर समाप्त हो गया है। भारत ने बता दिया है कि वह न केवल जवाब देगा बल्कि ऐसा जवाब देगा, जो ‘आतंकिस्तान’ को अगली साजिश रचने से पहले सौ बार सोचने पर विवश करेगा। आतंक को बढ़ावा देना अब पाकिस्तान के लिए केवल एक रणनीति नहीं, आत्मघाती कदम बन चुका है। भारत ने साबित कर दिया है कि अब

May 10, 2025 - 00:37
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भारत का आतंक पर कभी न भूलने वाला प्रहार
भारत का आतंक पर कभी न भूलने वाला प्रहार

भारत का आतंक पर कभी न भूलने वाला प्रहार

परिचय

22 नवंबर 2008, वह दिन जब मुंबई ने आतंकवाद का एक ऐसा अनुभव किया, जिसे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया ने महसूस किया। इस दहशतगर्दी के हमले ने देश के नागरिकों के दिलों में एक अनकही डर और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए। आज हम उसी घटना पर चर्चा करेंगे, जिसे भारत का आतंक पर कभी न भूलने वाला प्रहार कहा जाता है।

हमले का विवरण

ताजमहल पैलेस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसी प्रतिष्ठित जगहों पर 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक साथ हमला किया। इस दौरान 166 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। यह हमला सिर्फ एक आतंकवादी गतिविधि नहीं थी, बल्कि यह एक चेतावनी था कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ एक और मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है।

भारत की प्रतिक्रिया

हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने कई कड़े कदम उठाते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को और भी कठोर बनाया। सुरक्षा बलों को और अधिक सशक्त बनाने, आतंकवादियों को समर्थन देने वाले देशों के खिलाफ कड़े कदम उठाने और आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने के लिए अभियान चलाए गए। इसके अलावा, इस घटना ने भारत के नागरिकों के बीच एकता और एकजुटता का संदेश भी दिया।

समाज पर असर

इस हमले ने भारतीय समाज के मानसिकता पर गहरा प्रभाव डाला। लोग अब एक दूसरे के प्रति सजग रहने लगे और सुरक्षा को लेकर जागरूक हो गए। प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी बढ़ गई कि वे अपने आसपास अनजान तत्वों पर नजर रखें।

भविष्य की दिशा

भारतीय सुरक्षा बल अब पहले से कहीं अधिक चौकस हैं। मुंबई हमले के बाद देश में कई परिवर्तन हुए हैं। आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं। आतंकवादियों के खिलाफ अब भारत का रुख और भी सख्त हो गया है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह के हमले फिर से नहीं होंगे।

निष्कर्ष

2008 के मुंबई हमले ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को एक संदेश दिया कि आतंकवाद का सामना करने के लिए सभी देशों को एक साथ आना होगा। हमें इस घटना को कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि इससे हमें यह सीख मिलती है कि सुरक्षा कभी भी समझौता नहीं की जानी चाहिए। भारतीय जनता की एकता ही असली शक्ति है।

अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें और एकजुट रहें। ऐसे ही और अपडेट के लिए, netaanagari.com पर जाएं।

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