पुतिन के भारत दौरे से पहले LAC विवाद सुलझाने को तैयार हुआ चीन, बीजिंग ने जारी किया बड़ा बयान
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से पहले ही चीन ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने और एलएसी विवाद को सुलझाने के बाबत बड़ा बयान दिया है। बता दें कि आज ही रूस ने आधिकारिक बयान में कहा था कि राष्ट्रपति पुतिन पीएम मोदी के आमंत्रण को स्वीकार कर भारत जाने की योजना बना रहे हैं।

पुतिन के भारत दौरे से पहले LAC विवाद सुलझाने को तैयार हुआ चीन, बीजिंग ने जारी किया बड़ा बयान
Netaa Nagari / नई दिल्ली: हाल ही में चीन ने भारत के साथ एलएसी विवाद सुलझाने को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। यह बयान तब आया है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा नजदीक है। क्या यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक प्रयास है? आइए जानते हैं इस मुद्दे के बारे में विस्तार से।
चीन का बड़ा बयान
चीन के विदेश मंत्रालय ने हालिया बयान में कहा है कि वे भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए तत्पर हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत के साथ वार्ता के जरिए विवाद का समाधान करने की दिशा में अग्रसर हैं।" यह बयान उस समय आया है जब चीन और भारत दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनीतिक संबंधों में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
पुतिन का महत्व
व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा किसी भी योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और चीन का यह बयान इस दौरे से पहले की एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है। पुतिन की यात्रा के दौरान, भारत और रूस के बीच व्यापार, सुरक्षा, और दूसरे कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
क्या हैं संभावनाएं?
चीन के इस बयान को देख कर लगता है कि वह भारत के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए वास्तविक प्रयास कर रहा है। क्या यह भारत-चीन-रूस त्रिकोणीय तालमेल को और मजबूती देगा? इसके अलावा, यह कदम दो देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
वैश्विक दृष्टिकोण
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम केवल द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी दबाव के जवाब में भी हो सकता है। हाल के समय में, भारत ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, जो चीन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
एलएसी विवाद का इतिहास
एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) विवाद का इतिहास काफी पुराना है। पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के बीच कई बार तनाव बढ़ चुका है, जिस पर दोनों देशों को कई बार बातचीत करने की आवश्यकता महसूस हुई है। अब देखना यह है कि क्या दोनों देश इस बार सच्चे मन से विवाद का समाधान कर पाएंगे।
निष्कर्ष
सारांश में, चीन का यह बयान व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट है, जो आसन्न वार्ताओं और सहयोग को नया मोड़ दे सकता है। क्या यह कदम देशों के बीच स्थायी शांति और सहयोग का आधार बनेगा? समय ही बताएगा!
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