साइबर अपराध: यूपी में हर घंटे 250 लोगों को ठग रहे हैं जालसाज

इंद्र भूषण दुबे/ लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में हर घंटे 250 लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। केंद्र सरकार की नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के रिकार्ड के अनुसार, साइबर ठगी के मामले में देश में दूसरा राज्य उप्र. है। पहले स्थान पर महाराष्ट्र है। वहीं तीसरे पर कर्नाटक है। रिकार्ड के अनुसार, देश में साइबर ठगी के 38 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। इसमें करीब डेढ़ लाख के आसपास मामले यूपी में दर्ज है। वहीं यूपी में साइबर अपराध के हॉटस्पॉट दो से बढ़कर एक दर्जन से अधिक हो गये हैं। साथ...

Aug 3, 2025 - 00:37
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साइबर अपराध: यूपी में हर घंटे 250 लोगों को ठग रहे हैं जालसाज

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लेखक: सुमिता मेहरा, राधिका शर्मा, टीम नेटआनागरी

इंद्र भूषण दुबे/लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में हाल ही में जारी हुई केंद्र सरकार की नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के आंकड़ों के अनुसार, हर घंटे औसतन 250 लोग साइबर जालसाजों का शिकार बन रहे हैं। यह स्थिति न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है। यूपी देश में साइबर ठगी के मामलों में दूसरे स्थान पर है, पहले स्थान पर महाराष्ट्र है और कर्नाटक तीसरे पर है। पिछले कुछ वर्षों में साइबर ठगी की बाढ़ ने राज्य में चिंताजनक स्थिति उत्पन्न कर दी है।

साइबर ठगी के रुझान

साइबर ठगी के मामलों के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। राज्य में कुल 1.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पूरे देश में ये मामले 38 लाख से भी अधिक हो गए हैं। साइबर अपराध के हॉटस्पॉट की संख्या भी काफी बढ़ गई है, जो पहले केवल दो स्थानों तक सीमित थी, अब यह एक दर्जन से अधिक क्षेत्रों तक फैल चुकी है। इस स्थिति ने पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते साइबर अपराध

साइबर अपराध की लहर ने अब ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। एक साल पहले तक, नोएडा और मथुरा जैसे शहरी क्षेत्रों को मुख्य केंद्र माना जाता था, लेकिन अब लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहर भी इस खतरे में शामिल हो गए हैं। छोटे कस्बों जैसे गोरखपुर, जौनपुर और कुशीनगर में भी साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यूपी पुलिस ने पिछले वर्ष 66,854 मामले दर्ज किए थे, जबकि वर्तमान वर्ष के पहले छः महीनों में ही 1.19 लाख रिपोर्ट आई हैं।

साइबर अपराधियों की नई रणनीतियाँ

साइबर अपराधियों ने अपनी कार्यप्रणाली में भी काफी बदलाव किया है। नए 'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' में ठग पुलिस या सीबीआई के अधिकारियों के रूप में सामने आते हैं। साथ ही, नकली जॉब ऑफर, गेमिंग ऐप और फर्जी ओएलएक्स विज्ञापनों के जरिए भी लोगों को ठगा जा रहा है। यूपी में अधिकतर मामले यूपीआई फ्रॉड के तहत आते हैं, जिसमें नकली क्यूआर कोड और स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स का इस्तेमाल हो रहा है।

यूपी पुलिस के साइबर अपराध थाने के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि आधुनिक तकनीक का उपयोग करके पुलिस कई बड़े गिरोहों को पकड़ने में सफल रही है। उन्होंने जनता को चेतावनी दी है कि वे अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और अपनी गोपनीय जानकारी साझा न करें।

साइबर सुरक्षा उपाय

साइबर अपराध को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिससे नागरिकों को साइबर ठगी के तरीकों और सुरक्षित रहने के उपायों के बारे में जागरूक किया जा सके। यदि आप किसी संदिग्ध गतिविधि का सामना करें, तो तुरंत स्थानीय थाने में रिपोर्ट करें।

निष्कर्ष

साइबर ठगी आज के डिजिटल युग में एक गंभीर विषय बन गई है। यूपी में इस समस्या का तेजी से बढ़ता हुआ स्तर चिंता का विषय है। हमें सभी को अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना होगा। साइबर जालसाजों के खिलाफ ठोस कदम उठाना प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके लिए समाज के हर सदस्य को भी सक्रिय रहना चाहिए। केवल तभी हम इस समस्या का समाधान कर पाएंगे।

कम शब्दों में कहें तो, यूपी में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जो न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो रहे हैं।

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