Diwali 2024 : दीपोत्सव पर रोशनियों से आलोकित हुआ पूरा देश
नयी दिल्ली। अमावस के अंधेरे पर उजाले की जीत के प्रतीक दीपोत्सव पर रोशनियों की झिलमिलाहट और जगमगाहट से आज की रात पूरा देश आलोकित रहा। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाए जाने वाले दीपावली का उत्साह लोगों में धनतेरस के दिन से रहा और आज की शाम आते-आते यह उत्साह चरम पर नजर आया। बाजारों में कपड़ों मिटाईयों और त्योहर से जुड़ी सामग्रियों की जमकर खरीददारी की गयी। दीपावली की शाम लोगों ने अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों को दीपों एवं झालरों से सजाया।रात में शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की और दीए जलाए ।...


नयी दिल्ली। अमावस के अंधेरे पर उजाले की जीत के प्रतीक दीपोत्सव पर रोशनियों की झिलमिलाहट और जगमगाहट से आज की रात पूरा देश आलोकित रहा।
कार्तिक माह की अमावस्या को मनाए जाने वाले दीपावली का उत्साह लोगों में धनतेरस के दिन से रहा और आज की शाम आते-आते यह उत्साह चरम पर नजर आया। बाजारों में कपड़ों मिटाईयों और त्योहर से जुड़ी सामग्रियों की जमकर खरीददारी की गयी।
दीपावली की शाम लोगों ने अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों को दीपों एवं झालरों से सजाया।रात में शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की और दीए जलाए । प्रत्येक घर और इमारतें बिजली के झालरों की रोशनी से जगमगाती नजर आयी। लोगों ने पटाखे फोड़ कर तथा मित्रों एवं रिश्तेदारों में मिठाइयां बांटकर उत्साह के साथ त्योहार मनाया. दीपावली के मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों के यहां पहुंचे और त्योहार की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा सोशल मीडिया व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर दीपावली की बधाई और शुभकामनाओं के संदेशों के आदान-प्रदान भी किए गए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीपों के पर्व दीपावली को हर वर्ष सैनिकों के बीच मनाने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस बार गोवा के तट और कारवार नौसैनिक अड्डे पर स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का दौरा किया और वहां बहादुर नौसैनिकों के साथ दीपावली मनायी।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी नागरिकों से त्योहारों के इस मौसम में स्वदेशी सामानों की खरीद तथा उपयोग का आह्वान पुरजोर तरीके से दोहराया और कहा कि देश भर में ये त्योहार 140 करोड़ भारतीयों की कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और नवाचार का उत्सव बनने चाहिए। उन्होंने 'एक्स' पर अपने पोस्ट में कहा, "आइए भारतीय उत्पाद खरीदें और गर्व से कहें- 'ये स्वदेशी है!' आपने जो खरीदा है, उसे सोशल मीडिया पर भी साझा करें। इस तरह आप दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे। "
राष्टीय राजधानी में प्रदूषण के परिप्रेक्ष्य में पिछले कई सालों से पटाखों पर चले आ रहे प्रतिबंधों में शीर्ष न्यायालय की ओर से इस बार कुछ ढील दी गयी और केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है। इससे भी यहां के लोगों में काफी उत्साह रहा।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दीपावली के अवसर पर एक अनोखा और प्रेरणादायी आयोजन किया गया। बाग मुगालिया एक्सटेंशन स्थित गोधुलि पार्क में कॉलोनी के रहवासियों ने पेड़ों की आरती उतारकर उन्हें धन्यवाद दिया और हरियाली बचाने का संकल्प लिया। इस दौरान शंख और घंटियों की ध्वनि के बीच दीपक जलाकर लोगों ने पेड़ों की आरती उतारी। पिछले सात वर्षों से यह परंपरा कॉलोनी के लोगों द्वारा निभाई जा रही है।
पंजाब में चंडीगढ़ के बाजारों में दीपावली की रौनक चरम पर रही और शहर के सभी बाजार सज-धजकर जगमगाते रहे। कपड़ों, खिलौनों, मिठाइयों और उपहार की दुकानों पर ग्राहकों की लंबी कतारें देखने को मिली। दुकानदारों का कहना है कि पिछले सालों की तुलना में इस बार खरीदारी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
दीपावली और इसकी छुट्टियों के कारण ओडिशा के विश्वविख्यात पुरी में पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा रही है। यहां अधिकतर होटल और रेस्तरां पूरी तरह से बुक हैं और खूबसूरती से रोशन हैं। पुरी-भुवनेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बीरा गोविंदपुर स्थित दक्षिणकाली मंदिर हर दीपावली पर लाखों भक्तों को आकर्षित करती है।
तमिलनाडु में बारिश के पूर्वानुमान के बीच नए परिधान पहने लोगों ने पटाखे फोड़कर और अपने दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों के साथ मिठाइयाँ बाँटकर इस त्यौहार का जश्न मनाया। कई लोगों ने मंदिरों में भी जाकर इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की। तमिलनाडु में दीपावली के अगले दिन 21 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने और इसे चार दिन आगे बढ़ाने की वजह से 10 लाख से अधिक लोग अपने परिवारों के साथ त्योहार मनाने के लिए चेन्नई से अपने गृहनगर लौट चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के पौराणिक एवं धार्मिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में दीपावली के पावन पर्व पर 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाकर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई दीपदान एवं अन्नदान किया। रामघाट परिक्रमा मार्ग के अलावा गुप्त गोदावरी, अनुसूया आश्रम, हनुमान धारा, जानकी कुंड, स्फटिक शिला में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही। माना जता है कि त्रेता युग में प्रभु श्री राम ने दुर्दांत व्यभिचार राक्षस रावण का वध करने के बाद अपनी पूरी सेना के साथ अयोध्या लौटते वक्त चित्रकूट में पुष्पक विमान से उतरकर अपने पूरी सेना के साथ मां मंदाकिनी में स्नान किया और यहां पर दीपदान किया तब से यह परंपरा अनवरत रूप से चली आ रही है।
पश्चिम बंगाल समेत देश भर में बंगाली समुदाय के लोग दीपावली की रात मां काली की पूजा करते हैं। इस मौके पर समुदाय के बच्चे , युवा , महिला और पुरुष पूजा स्थल पर एकत्र होते हैं और देर रात मां काली की पारंपरिक पूजा अर्चना के बाद भोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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