लखनऊ में धोखाधड़ी का बड़ा मामला: ‘लापता’ होकर 24 घंटे में कर डाला 5 करोड़ का सौदा
Lucknow Land Scam: अगर कोई लापता हो, और पुलिस उसे तलाश रही हो, तो आमतौर पर हम सोचते हैं कि शायद कोई अनहोनी हो गई होगी। लेकिन लखनऊ में एक जमीन घोटाले में कुछ अलग ही सामने आया। हजरतगंज कोतवाली में लापता दिखाया गया शख्स राकेश कुमार, असल में 23 किलोमीटर दूर रजिस्ट्री ऑफिस में … The post पुलिस को बनाया मूर्ख! ‘लापता’ दिखकर 24 घंटे में कर डाला 5 करोड़ का डील appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

लखनऊ में धोखाधड़ी का बड़ा मामला: ‘लापता’ होकर 24 घंटे में कर डाला 5 करोड़ का सौदा
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लेखक: सुषमा शर्मा, राधिका वर्मा, टीम नेटानागरी
लखनऊ जमीन घोटाला: एक चौंकाने वाला मामला
कम शब्दों में कहें तो लखनऊ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने कानून और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हजरतगंज क्षेत्र में एक व्यक्ति, राकेश कुमार, पुलिस के सामने ‘लापता’ दिखाई दिया, जबकि असल में उन्होंने 24 घंटे के भीतर 5 करोड़ रुपये का एक बड़ा डील कर डाला। यह घटना न केवल निराशाजनक है, बल्कि यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी का भी संकेत देती है।
किस तरह शुरू हुआ पूरा मामला?
इस भ्रामक खेल की शुरुआत तब हुई जब साहू हाउसिंग कंपनी के निदेशक ने पुलिस से शिकायत की कि उनकी कीमती जमीनें धोखाधड़ी से बेची जा रही हैं। पुलिस ने जांच शुरू की और पता चला कि यह धोखाधड़ी एक संगठित गिरोह द्वारा की जा रही थी, जिसमें राकेश कुमार और उनकी पत्नी प्रमुख भूमिका में थे।
“लापता” की कहानी में छुपी साजिश
राकेश की पत्नी ने हजरतगंज थाने में उनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिससे पुलिस सच में उनकी तलाश में जुट गई। जबकि राकेश असल में लखनऊ से 23 किलोमीटर दूर रजिस्ट्री ऑफिस में बैठा था और जमीनों के संबंध में सौदों को सुलझा रहा था। इस प्रकार की गतिविधि केवल जांच को भटकाने के लिए की गई थी, जिसने पुलिस को मूर्ख बना दिया।
कौन-कौन थे धोखाधड़ी में शामिल?
शिकायत के अनुसार, राकेश कुमार, उनकी पत्नी और कंपनी के चार पूर्व कर्मचारी मिलकर इस बड़े धोखाधड़ी का हिस्सा थे। उन्होंने रजिस्ट्री ऑफिस का दुरुपयोग करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई संपत्तियों की बिक्री की। यह सब कुछ इतनी चातुर्य से किया गया कि पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष टीम का गठन किया है। राकेश को मुख्य आरोपी मानते हुए उसकी पत्नी और अन्य पूर्व कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इसके साथ ही, जमीनों की बिक्री से जुड़े सभी दस्तावेजों की सत्यता भी जांची जा रही है।
संवेदनशीलता का संकेत
यह मामला केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि यह सिस्टम के भीतर बड़ी खामियों और सुनियोजित साजिश का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। जब पुलिस गुमशुदा की तलाश कर रही थी, तब राकेश कुमार खुलेआम धोखे से जमीन के सौदों को संपन्न कर रहा था। यह घटना हमें यह बताती है कि कैसे लोग कानून का दुरुपयोग कर सकते हैं, और प्रशासन को सतर्क रहना चाहिए। इस प्रकार के मामले की तहकीकात से हम न केवल एक बड़े धोखाधड़ी की पोल खोल सकते हैं, बल्कि समाज में फिर से विश्वास भी बहाल कर सकते हैं।
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