सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया पर जताई सख्त नाराजगी, गड़बड़ी पर रद्द कर दी जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर निर्वाचन आयोग (ECI) के सर्वे में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो वो पूरी प्रक्रिया को ही रद्द कर देगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि यह मानकर … The post SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त बोला “गड़बड़ी मिलने पर कर देंगे प्रक्रिया रद्द” appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया पर जताई सख्त नाराजगी, गड़बड़ी पर रद्द कर दी जाएगी
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कम शब्दों में कहें तो, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग (ECI) की SIR प्रक्रिया को लेकर सख्ती दिखाई है। न्यायालय ने कहा है कि यदि सर्वे में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।
सोमवार को, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उनकी यह धारणा है कि निर्वाचन आयोग, एक संवैधानिक प्राधिकार के रूप में, अनिवार्य कानूनों तथा नियमों का पालन कर रहा है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर गड़बड़ी का पता चलता है तो यह प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त हो सकती है।
भविष्य की सुनवाई की तिथि
सुनवाई के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि वह एसआईआर अभ्यास की वैधता पर पूरी तफसील से विचार करेंगे और अगली सुनवाई की तारीख 7 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। तब तक, कोर्ट ने कोई आंशिक राय देने से भी इनकार किया है। इसके साथ ही, यह भी उल्लेख किया गया है कि इस मामले में अंतिम निर्णय पूरे भारत पर लागू होगा।
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सर्वोच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनावी प्रक्रिया में कोई भी अनियमितता न हो। इससे चुने गए प्रतिनिधियों की दशा और दिशा दोनों प्रभावित हो सकती हैं। अदालत का यह कदम यह दिखाता है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय को लोकतंत्र के कार्यान्वयन में कोई भी ढिलाई बर्दाश्त नहीं है।
निर्वाचन आयोग पर विश्वास
अत्यधिक महत्व के इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के प्रति विश्वास दिखाते हुए कहा कि आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण के नाते अपने कार्यों में कानून का पालन सुनिश्चित करने की क्षमता रखता है। यह आश्वासन नागरिकों को यह विश्वास दिलाता है कि उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत प्रावधान मौजूद हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो, सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों को इस विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे। इससे केवल चुनावी प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक समाज की नींव को भी मजबूती मिलेगी।
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इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण संकेत दिया है कि वह किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके साथ ही, यह निर्णय यह दर्शाता है कि चुनावी प्रक्रिया और मतदाता के अधिकारों की सुरक्षा में न्यायालय की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर, यह निर्णय केवल एक प्रक्रिया के बारे में नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए कानून और न्याय के प्रति हमारे समाज की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।
सारांश में, यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस से लेकर भाजपा तक, सभी राजनीतिक दलों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे निर्वाचन प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखें, नहीं तो इसका असर न केवल चुनाव परिणामों पर पड़ेगा, बल्कि राष्ट्र के लोकतंत्र पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
Team Netaa Nagari - नीरजा शर्मा
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