भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव:बीते 10 वर्ष में शिक्षा में हुए विकास में निजी सेक्टर अहम: गिरीश अग्रवाल
भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव में समूह के डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल ने कहा कि आज एजुकेशन सेक्टर नॉट फॉर प्रॉफिट का कारोबार नहीं है जबकि सरकार इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करती। सरकारी नियमों के मुताबिक शिक्षण संस्थान नॉट फॉर प्रॉफिट आधार पर चलेंगे तो नियमों को पूरा करने के उपाय निकाल लिए जाते हैं। उन्होंने कहा,‘बीते 10 वर्षों में शिक्षा जगत में हुए विकास में प्राइवेट सेक्टर की अहम भूमिका रही है। आज सभी को स्कूल-कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर, प्लेसमेंट बेस्ट और मैस में थ्री स्टार फेसिलिटी चाहिए। ये सब नॉट फॉर प्रॉफिट से संभव नहीं है।’ एचडीएफसी क्रेडिला फाइनेंस सर्विसेज के को-फाउंडर अजय बोहोरा ने कहा ट्रस्ट व एनजीओ द्वारा चलाए जाने वाले शिक्षण संस्थान को बैंक कर्ज नहीं देते। इसलिए स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी तो सरकारी नियम कानूनों से नॉट फॉर प्रॉफिट ही चल सकते हैं। पर संस्थाओं को ट्रस्ट के साथ सर्विसेज कंपनी भी बनानी चाहिए जो ट्रस्ट को जरूरी सेवाएं मुहैया कराए। निजी शिक्षण संस्थान चलाने के दो-तीन मॉडल उभर रहे हैं, जैसे संस्थान के हॉस्टल अलग कंपनी चलाए तो उसे फंडिंग मिल सकती है, उसे ट्रस्ट के दायरे से बाहर रख सकते हैं। टेक्नोलॉजी के हिसाब से नए सिरे से क्लासरूम व लैब्स बनाने की जरूरत है। इनके लिए अलग कंपनी से डील हो सकती है। केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्यमंत्री दुर्गादास उइके ने कहा कि एनईपी पूरी तरह लागू होने के बाद बड़ा बदलाव आएगा, देश विश्वगुरु के तौर पर स्थापित हो सकेगा। अनुवादिनी से गुणवत्ता वाली किताबें तैयार हो रहीं: सहस्रबुद्धे नैक चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘जर्मनी में पढ़ाई जर्मन भाषा में, स्पेन में स्पेनिश में हो सकती है तो भारत में अपनी भाषा में पढ़ाई क्यों नहीं करनी चाहिए। एआईसीटीई ने एआई एप अनुवादिनी बनाया है। यह अंग्रेजी में लिखी किताबों का भारतीय भाषाओं में गुणवत्ता वाला अनुवाद कर रहा है। सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने साल में दो बार बोर्ड परीक्षा को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा शैक्षिक सत्र के दौरान 1200 लर्निंग ऑवर्स होने चाहिए। हर विषय के लिए 210 स्टडी ऑवर्स मिलने चाहिए, जो फिलहाल नहीं मिल पा रहे हैं।’ आउटकम के बेंचमार्क के आधार पर छात्रों को कर्ज ऑक्सिलो फिनसर्व प्रा. लि. के एमडी नीरज सक्सेना ने कहा कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से छात्रों को लोन मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि कर्जदाताओं को आशंका रहती है कि जिनकी कोई आय ही नहीं है तो वे पैसा कैसे लौटा पाएंगे। यदि पढ़ने पर भी नौकरी नहीं लगी तो क्या होगा। पर अब छात्रों के भविष्य के आउटकम के बेंचमार्क के आधार पर लोन दिए जा रहे हैं। बोहोरा ने कहा कि एनईपी में 2035 तक जीईआर लक्ष्य मौजूदा स्तर 27% से बढ़ाकर 50% रखा गया है। इस समय उच्च शिक्षा में 4.3 करोड़ छात्र हैं, नामांकन बढ़ेंगे तो यह यह बहुत बड़ी संख्या होगी। इंफ्रा को मॉनिटाइज करके निवेश जुटा सकते हैं संस्थान ईएंडवाई के ग्लोबल एजुकेशन लीडर अमिताभ झिंगन ने एसेट बेस्ड फाइनेंस का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर को मोनिटाइज करके निवेश जुटा सकते हैं, विस्तार करने के साथ गुणवत्ता सुधार सकते हैं। गुणवत्ता बढ़ेगी तो आउटकम भी अच्छा आएगा। यानी ज्यादा से ज्यादा छात्र दाखिला लेंगे। ब्रांड कल्चरिस्ट रूपेश कश्यप ने कहा कि हमें शिक्षण संस्थानों को ब्रांड के रूप में तैयार करना चाहिए। इनकी ऐसी छाप रहे कि लोगो देखते या नाम सुनते ही विशेषताएं जेहन में उभर आएं। ब्रांडिंग पर पारुल यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट देवांशु पटेल ने प्रस्तुति दी।

भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव: बीते 10 वर्ष में शिक्षा में हुए विकास में निजी सेक्टर अहम: गिरीश अग्रवाल
नेता नागरी - हाल ही में आयोजित भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव में, शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में हुए विकास पर चर्चा के दौरान प्रमुख वक्ता गिरीश अग्रवाल ने कहा कि निजी सेक्टर ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न पहलुओं और चुनौतियों पर जागरूकता फैलाना था।
शिक्षा में बदलते परिदृश्य
गिरीश अग्रवाल ने अपने भाषण में बताया कि पिछले एक दशक में शिक्षा के तरीके और इसके वितरण में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, "आज के दौर में निजी विद्यालयों और संस्थानों ने शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद की है। वे न केवल अच्छी सुविधाएं प्रदान करते हैं, बल्कि छात्रों की योग्यता और क्षमता को भी अधिकतम करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।"
अग्रवाल के अनुसार, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की तुलना में निजी क्षेत्र ने शिक्षा में नवाचारों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे न केवल विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है, बल्कि उनकी अकादमिक सफलता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
निजी क्षेत्र की चुनौतियां
हालांकि, अग्रवाल ने निजी क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "निजी संस्थानों को भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि फीस संरचना, असमानता और गुणवत्ता पर नियंत्रण। इन मुद्दों का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है ताकि शिक्षा का स्तर और बेहतर हो सके।"
उनका मानना है कि निजी क्षेत्र के संस्थानों को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि शिक्षा प्रणाली में सुधार लाया जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने सभी हितधारकों से सहयोग की अपील की ताकि एक संपूर्ण और समग्र शिक्षा प्रणाली विकसित की जा सके।
भविष्य की दृष्टि
गिरीश अग्रवाल ने सम्मेलन के अंत में सुझाव दिया कि शिक्षा में सतत नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा, "हमें digital learning platforms का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए ताकि हर छात्र को गुणवत्ता और उत्कृष्टता मिल सके।"
इस सम्मेलन में कई शिक्षा विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा के विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
निष्कर्ष
भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव ने शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को अभिव्यक्त किया और यह दर्शाया कि कैसे निजी क्षेत्र ने पिछले 10 वर्षों में इस दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है। गिरीश अग्रवाल के विचार निस्संदेह इस दिशा में शिक्षा के विकास को और अधिक सशक्त बनाएंगे।
अंत में, सभी को यह समझना होगा कि केवल निजी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि समग्र शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। अधिक अपडेट के लिए, www.netaanagari.com पर जाएं।
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