चीन ने CPEC ML-1 परियोजना से वापस लिया हाथ, पाकिस्तान को लगा बड़ा भू-राजनीतिक झटका

चीन ने पाकिस्तान के सबसे महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना के मेन लाइन-1 (ML-1) रेलवे अपग्रेड से हाथ खींच लिया है, जो एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव माना जा रहा है। यह फैसला पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीजिंग दौरे के बाद लिया गया, जहां वे CPEC के दूसरे चरण के तहत नई फंडिंग … The post चीन ने CPEC ML-1 प्रोजेक्ट से किया किनारा, बड़ा भू-राजनीतिक झटका appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

Sep 6, 2025 - 00:37
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चीन ने CPEC ML-1 परियोजना से वापस लिया हाथ, पाकिस्तान को लगा बड़ा भू-राजनीतिक झटका
चीन ने CPEC ML-1 परियोजना से वापस लिया हाथ, पाकिस्तान को लगा बड़ा भू-राजनीतिक झटका

चीन ने CPEC ML-1 परियोजना से वापस किया हाथ, पाकिस्तान को लगा बड़ा भू-राजनीतिक झटका

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कम शब्दों में कहें तो, चीन ने पाकिस्तान के महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के मेन लाइन-1 (ML-1) रेलवे अपग्रेड प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिया है। यह फैसला प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीजिंग दौरे के बाद सामने आया, जिसमें वे सफलतापूर्वक नई फंडिंग हासिल करने में असफल रहे हैं।

पाकिस्तान के लिए यह निर्णय एक बड़े भू-राजनीतिक बदलाव का संकेत है। चीन की ओर से यह कदम, खासकर जब पिछले कुछ समय में पाकिस्तान के वाशिंगटन के साथ बढ़ते संबंधों के बीच उठाया गया है, केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की चीन यात्रा के बाद, उन्हें केवल विभिन्न क्षेत्रों में 8.5 अरब डॉलर के समझौता ज्ञापनों (MoUs) के साथ वापस लौटने का अवसर मिला, जिनमें कृषि, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, स्वास्थ्य और स्टील शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इस यात्रा में अपेक्षित बड़े निवेश का कोई संकेत नहीं मिला।

CPEC और इसका महत्व

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो लगभग 3,000 किलोमीटर लंबा है, चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के अरब सागर के Gwadar बंदरगाह से जोड़ता है। यह बड़े पैमाने पर सड़कों, रेल, पाइपलाइन और ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से जुड़ता है, और चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

CPEC का उद्देश्य दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के बीच क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्य न केवल चीन और पाकिस्तान के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करना है, बल्कि चीनी ऊर्जा आयात को आसान बनाना और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देना है। इस प्रोजेक्ट में कुल निवेश की राशि 60 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

भू-राजनीतिक स्थिति पर प्रभाव

चीन का CPEC ML-1 से हाथ खींचना इस्लामाबाद के लिए महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक परिणाम लाता है। चीन-पाक संबंधों में इस बदलाव की रेखाएं उस समय और भी साफ होती हैं जब भारत के शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की टियांजिन समिट के बाद, भारत और रूस के साथ चीन के संबंध मजबूत हो रहे हैं।

हालांकि यह समझा जा रहा था कि पाकिस्तान को चीन से भारी निवेश की अपेक्षा थी, लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि चीन अपने आंतरिक मुद्दों और वैश्विक मंच पर चलते विकास के लिहाज से अपने फैसले करने में अधिक सतर्क हो गया है। यह बदलाव निस्संदेह भविष्य में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

निष्कर्ष

इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) केवल एक साधारण आर्थिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह भू-राजनीतिक गतिशीलता का एक प्रमुख घटक भी है। जैसे-जैसे वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य बदलता है, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को अपने रणनीतिक साझेदारों के बीच संतुलन बनाना और नए निवेश आकर्षित करने की आवश्यकता होगी। समय के साथ यह देखना होगा कि पाकिस्तान कैसे इस चुनौती का सामना करता है और अपने विकास के लिए नए रास्ते खोजता है।

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Team Netaa Nagari - प्रिया शर्मा

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