चित्रकूट में दीपावली के बाद सजी अनोखी परंपरा, ऐतिहासिक मेले में इन गधों’ ने जीता सबका दिल!

Chitrakoot : धार्मिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन से शुरू हुआ देश का प्रसिद्ध और ऐतिहासिक गधा मेला इस बार भी अपने पूरे शबाब पर है। मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस पांच दिवसीय मेले में दूर-दराज़ से आए व्यापारी अपने गधों और खच्चरों को लेकर पहुंचे हैं। हर साल की तरह … The post चित्रकूट में दीपावली के बाद सजी अनोखी परंपरा, ऐतिहासिक मेले में इन गधों’ ने जीता सबका दिल! appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

Oct 21, 2025 - 18:37
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चित्रकूट में दीपावली के बाद सजी अनोखी परंपरा, ऐतिहासिक मेले में इन गधों’ ने जीता सबका दिल!

Chitrakoot : धार्मिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन से शुरू हुआ देश का प्रसिद्ध और ऐतिहासिक गधा मेला इस बार भी अपने पूरे शबाब पर है। मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस पांच दिवसीय मेले में दूर-दराज़ से आए व्यापारी अपने गधों और खच्चरों को लेकर पहुंचे हैं। हर साल की तरह इस बार भी मेले में ‘फिल्मी सितारों’ के नाम पर रखे गए गधों और खच्चरों ने लोगों का खूब मनोरंजन किया।

आपको बता दें कि इतिहासकार बताते हैं कि इस गधा मेले की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब के समय में हुई थी। उस दौर में यह मेला व्यापारिक केंद्र के रूप में जाना जाता था, जहां गधों और खच्चरों की खरीद-बिक्री होती थी। तब से लेकर आज तक यह परंपरा लगातार जारी है। पांच दिनों तक चलने वाला यह मेला न केवल व्यापारिक महत्व रखता है, बल्कि लोक संस्कृति और ग्रामीण परंपरा का प्रतीक बन चुका है।

ऐसे में इस मेले की सबसे खास बात यह है कि यहां बिकने वाले गधों और खच्चरों को ‘शाहरुख’, ‘सलमान’, ‘कैटरीना’, ‘माधुरी’ जैसे फिल्मी नाम दिए जाते हैं। इन नामों के कारण खरीदारों के बीच खास आकर्षण देखने को मिलता है। इस बार मेले में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा ‘लॉरेंस बिश्नोई’ नाम का खच्चर, जिसने सभी को पीछे छोड़ दिया। इस खच्चर की कीमत ₹1 लाख 25 हजार तक पहुंच गई, जबकि ‘शाहरुख खान’ नाम का गधा ₹80 हजार में बिका।

इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र से व्यापारी अपने गधे और खच्चर लेकर आते हैं। कई पीढ़ियों से यह व्यापारी परिवार इस मेले में हिस्सा लेते आ रहे हैं। उनके अनुसार, आधुनिक मशीनों और वाहनों के दौर में भी यह परंपरा जिंदा है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में गधों और खच्चरों का उपयोग आज भी ढुलाई और खेती के काम में होता है। इस बार मेले में महिला खरीदारों और व्यापारियों की मौजूदगी भी खास रही। कई महिलाएं खुद गधे और खच्चर खरीदने पहुंचीं, जिससे मेले की रौनक और भी बढ़ गई। मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाला यह मेला केवल व्यापारिक आयोजन नहीं बल्कि धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है। दीपावली के दूसरे दिन ‘अन्नकूट’ पर्व के साथ इसकी शुरुआत होती है, जिसे स्थानीय लोग शुभ मानते हैं।

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