गैरसैंण: उत्तराखण्ड में जल संकट का सामना करते हुए भूजल संरक्षण का ऐतिहासिक कदम
उत्तराखण्ड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए आज एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। विधानसभा भवन,भराड़ीसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय,जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया। इस अवसर पर वाइब्रेंट बर्ड ऑफ […] The post Gairsain:-उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल-गैरसैंण से शुरू हुआ भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय appeared first on संवाद जान्हवी.

गैरसैंण: उत्तराखण्ड में जल संकट का सामना करते हुए भूजल संरक्षण का ऐतिहासिक कदम
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखण्ड ने आज जल संकट के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की है। सीएम पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने विधानसभा भवन, भराड़ीसैंण में स्वामी राम विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का प्रारंभ किया।
जल संकट से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
उत्तराखण्ड के जल संकट को ध्यान में रखते हुए आयोजित इस कार्यक्रम में, मुख्यमंत्री ने योजना को एक नवाचार कहा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के पीछे आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया जाएगा। यह कदम न केवल जल संकट के समाधान में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में भी एक राह प्रशस्त करेगा।
भविष्य के लिए जल संरक्षण की आवश्यकता
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने कहा कि जल संरक्षण केवल एक पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह हमारे भविष्य की जीवनरेखा भी है। उनके अनुसार, यह योजना आने वाले समय में जल सुरक्षा का आधार बनेगी। यह उत्तराखण्ड के लिए जल प्रबंधन और संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना का विस्तृत विवरण
इस अनूठी योजना के अंतर्गत, उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में इंजेक्ट किया जाएगा, जिससे भूजल स्तर बढ़ सके। इसे स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। आरंभिक चरण में, ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण एवं चौखुटिया विकासखंडों के 20 हैंडपंपों को पुनर्भरण किया जाएगा, जिससे ये फिर से क्रियाशील हो सकें।
इस पहल के पीछे का लक्ष्य जल प्रबंधन में एक स्थायी समाधान प्रस्तुत करना है, जो सभी के लिए लाभकारी साबित होगा। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम ने योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें प्रोफेसर एच.पी. उनियाल और अन्य सदस्य सम्मिलित थे।
संस्थानिक सहयोग और सिद्धांतों की जानकारी
यह प्रक्रिया एक MOU के तहत शुरू की गई थी, जिसे 8 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच हस्ताक्षरित किया गया। इस आयोजन में विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें गैरसैंण क्षेत्र में लागू की गई तकनीक के परिणाम शामिल थे।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व
कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधानसभा सदस्य, विभिन्न क्षेत्रों के सचिव एवं विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। यह दर्शाता है कि सरकार जल संकट को दूर करने के लिए कितनी गंभीर है।
निष्कर्ष
यह आयोजन केवल जल संकट के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण पहल नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एक प्रयास भी है। उत्तराखण्ड में जल संरक्षण के इस प्रयास से पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि हमें जल का जिम्मेदार उपयोग करना चाहिए।
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लेखिका: प्रियंका शर्मा, टीम नेटआनागरी
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