उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री ने एससीईआरटी नियमावली में देरी पर जताई नाराजगी
समीक्षा बैठक में अधिकारियों को लगाई जमकर फटकार शिक्षा सचिव को निर्देश, कार्मिका विभाग से समन्वय बनाकर आपत्तियों का करे निस्तारण देहरादून: राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) तथा… Source Link: एससीईआरटी नियमावली में देरी पर विभागीय मंत्री नाराज

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री ने एससीईआरटी नियमावली में देरी पर जताई नाराजगी
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लेखिका: सुमिता शर्मा, नीतू महाजन, टीम नेटानागरी
नियमावली के कारण शिक्षण कार्य में रुकावट
देहरादून: राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की नियमावली में हो रही देरी की वजह से उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की नाराजगी सामने आई है। हाल ही में उन्होंने विधानसभा में एक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को सख्त फटकार लगाई। उनका कहना था कि पिछले चार वर्षों से नियमावली में देरी करना अस्वीकार्य है और इसे लापरवाही की पराकाष्ठा बताया।
शिक्षा सचिव को दिए गए निर्देश
डॉ. रावत ने बैठक के दौरान शिक्षा सचिव रविनाथ रमन को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द कार्मिक विभाग के साथ तालमेल बनाकर सभी अड़चनों का निस्तारण करें। मंत्री ने जोरदार शब्दों में कहा कि नियमावली को एक महीने के भीतर तैयार करके कैबिनेट में पेश किया जाए। यह कदम शिक्षा तंत्र की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है क्योंकि इस लंबे विलंब के कारण लाखों छात्रों को शिक्षा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
भर्ती प्रक्रिया को गति देने की जरूरत
इसके साथ ही, डॉ. रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि एससीईआरटी और डायट में लंबे समय से रिक्त पड़े पदों की भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू की जानी चाहिए। वर्तमान में, सभी 13 डायटों में प्रवक्ता के 221 पद खाली हैं। मंत्री ने कहा कि इस स्थिति का खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है, और इस मामले में सभी जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, डॉ. रावत ने सचिव शिक्षा से कहा कि प्रवक्ता की भर्ती के लिए राज्य लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा जाए ताकि भर्ती प्रक्रिया तेज हो सके।
बैठक में शामिल अधिकारियों की भूमिका
इस बैठक में शिक्षा सचिव रविनाथ रमन, अपर सचिव रंजना राजगुरू और निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल समेत अन्य विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे शिक्षा विभाग के प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि इन निर्देशों को सावधानीपूर्वक लागू किया गया, तो इससे शिक्षण वातावरण में सुधार होगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
निष्कर्ष
इस प्रकार, उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के उठाए गए कदम सभी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी का काम कर सकते हैं। समय पर कार्यवाही और शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता के प्रति सजगता सभी छात्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि इन कदमों की सफलता मिलती है, तो राज्य में शिक्षा का स्तर निश्चित रूप से बेहतर होगा, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण का लाभ मिलेगा।
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