Ramadan 2025: मौलाना रशीद फिरंगी महली ने सेहरी को लेकर मुसलमानों से की ये अपील, देवबंद उलेमा ने जताई नाराजगी
Ramadan Kareem 2025: रमज़ान का मुकद्दस महीना नजदीक है और इसी के साथ इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के मौलाना रशीद फिरंगी महली ने एक एडवाइजरी जारी कर मुसलमानों से सेहरी के वक्त शोर-शराबा न करने और पड़ोसियों का ख्याल रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि सुबह के समय जोर से आवाज निकालने से दूसरे लोगों की नींद में खलल पड़ सकता है, इसलिए एहतियात बरतनी चाहिए. देवबंद के उलेमा ने जताई नाराजगी हालांकि, देवबंद के जाने-माने उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने इस एडवाइजरी पर सवाल उठाते हुए कहा, ''इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. इस तरह की अपील से यह गलत संदेश जाता है कि मुसलमान सेहरी में शोर मचाते हैं, जबकि हकीकत में इस्लाम हमेशा से पड़ोसियों के अधिकारों को अहमियत देता आया है.'' मौलाना इसहाक गोरा का तर्क मौलाना इसहाक़ गोरा ने कहा, “इस्लाम ने हमेशा अपने मानने वालों को सिखाया है कि वे अपने पड़ोसियों की तकलीफ का ख्याल रखें. यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि सदियों से मुसलमान इस पर अमल कर रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी एकाध जगह इस तरह की शिकायत आती भी हो, तो वह व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन पूरे समुदाय को लेकर इस तरह की एडवाइजरी जारी करना गैर-जरूरी है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इससे पहले कभी ऐसी एडवाइजरी जारी करने की जरूरत पड़ी? रमज़ान और सेहरी का महत्व रमज़ान इस्लाम में सबसे पाक महीना माना जाता है. इस महीने में रोजेदार सुबह सेहरी (सूरज निकलने से पहले का भोजन) करके पूरे दिन का उपवास रखते हैं और फिर शाम को इफ्तार के साथ अपना रोजा खोलते हैं. सेहरी और इफ्तार, दोनों ही इस्लामिक परंपरा में महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और यही वजह है कि इस दौरान धार्मिक गतिविधियां ज्यादा होती हैं. सुबह के वक्त अनावश्यक शोर से बचें- मौलाना रशीद फिरंगी महली हालांकि, सेहरी का वक्त सुबह तड़के होता है, जब आमतौर पर लोग सो रहे होते हैं. ऐसे में, अगर जोर से आवाजा की जाती है या लाउडस्पीकर बजाए जाते हैं, तो उससे दूसरों को परेशानी हो सकती है. इसी के मद्देनजर मौलाना रशीद फिरंगी महली ने यह अपील की थी कि लोग शांति बनाए रखें और पड़ोसियों की नींद में खलल न डालें. मुस्लिम समुदाय में मिले-जुले विचार इस एडवाइजरी पर मुस्लिम समुदाय में मिले-जुले विचार सामने आ रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि यह एक सकारात्मक पहल है, क्योंकि इससे धार्मिक सौहार्द बना रहेगा और सभी समुदायों में आपसी समझ बढ़ेगी. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह अनावश्यक सलाह है, क्योंकि मुसलमान पहले से ही दूसरों की सुविधा का ध्यान रखते हैं. मुस्लिम विद्वानों का क्या कहना है? देवबंद और सहारनपुर के कई मुस्लिम विद्वानों ने भी कहा कि हर धर्म के लोगों को अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करने की आजादी है और अगर किसी को दिक्कत होती है तो इसका हल आपसी बातचीत से निकाला जा सकता है, ना कि सार्वजनिक एडवाइज़री जारी करके. एडवाइजरी जारी होने के बाद से यह बहस छिड़ गई है कि क्या यह सही कदम था या अनावश्यक हस्तक्षेप. मौलाना रशीद फिरंगी महली इसे सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की पहल बता रहे हैं, जबकि मौलाना इसहाक़ गोरा और कुछ अन्य उलेमा इसे मुसलमानों को गलत नजरिए से दिखाने वाली बात मान रहे हैं. अब यह देखना होगा कि इस मसले पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है. ये भी पढ़ें: 'दोषियों पर सख्त कार्रवाई, सरकारी पैसे की रिकवरी भी...', दिल्ली के मंत्री पंकज सिंह ने कैट रिपोर्ट पर बोला हमला

Ramadan 2025: मौलाना रशीद फिरंगी महली ने सेहरी को लेकर मुसलमानों से की ये अपील, देवबंद उलेमा ने जताई नाराजगी
कोरोना महामारी के बाद सेहरी और इफ्तारी के समय को लेकर हर साल नए-नए बयान और अपीलें आती रहती हैं। इसी कड़ी में मौलाना रशीद फिरंगी महली ने सेहरी को लेकर मुसलमानों से एक महत्वपूर्ण अपील की है, जिसे देवबंद के उलेमा ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
सेहरी का महत्व
सेहरी रमजान के महीने में रोजेदारों के लिए न केवल भोजन का समय है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। यह वही समय है जब ईमानदार मुसलमान अल्लाह से प्रार्थना करते हैं और अपने इरादों को मजबूत करते हैं। मौलाना रशीद फिरंगी महली ने मुसलमानों से कहा है कि वे सेहरी को सही समय पर खाएँ ताकि उनका रोज़ा सही तरीके से हो सके।
मौलाना रशीद फिरंगी महली की अपील
मौलाना रशीद फिरंगी महली ने अपने एक बयान में कहा, "सेहरी को जल्दबाज़ी में न खाएँ और इसे समय पर पूरी तवज्जो दें। यह न केवल आपकी सेहत के लिए बेहतर है, बल्कि आपके रोज़े को भी मज़बूत करता है।" उनका यह बयान पूरे भारत में मुसलमानों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
देवबंद उलेमा की नाराजगी
इसी बीच, देवबंद के उलेमा ने मौलाना रशीद के बयान पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बयानों से आम मुसलमानों में भ्रम फैल रहा है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि रोज़ा एक धार्मिक कर्तव्य है और इसे सही ढंग से निभाना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है।
समुदाय की जिम्मेदारियाँ
रमजान का महीना केवल उपवास रखने का समय नहीं है, बल्कि यह हमें अपने समाज और समुदाय की जिम्मेदारियों को निभाने का भी अवसर देता है। मौलाना रशीद के मुताबिक, एकता और सहयोग से मुसलमानों को इस पवित्र महीने में अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाना चाहिए।
निष्कर्ष
रमजान 2025 के इस अनोखे माहौल में मौलाना रशीद फिरंगी महली की अपील और देवबंद उलेमा की नाराजगी ने समाज में एक महत्वपूर्ण चर्चा छेड़ी है। यह महीना हमें सिखाता है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और अपने धार्मिक कर्तव्यों को सही तरीके से निभाएं।
अंत में, रमज़ान के पवित्र महीने में अपनी भलाई और समुदाय की भलाई के लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें।
kam sabdo me kahein to, रमजान के इस खास माहौल में सेहरी की सही अहमियत को समझें और धार्मिक कर्तव्यों का पालन करें।
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