उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक बनी हुई है, 26 जून को फिर होगी सुनवाई
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की. अगली सुनवाई 26 जून को भी जारी रखी है. तब तक चुनाव प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी. बुधवार 25 जून को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में दोपहर बाद करीब दो घंटे […] Source Link: उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, कल भी जारी रहेगी सुनवाई

उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक बनी हुई है, 26 जून को फिर होगी सुनवाई
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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के निर्धारण को लेकर दायर की गई विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की। अगली सुनवाई 26 जून को भी जारी रहेगी। इस बीच, चुनाव प्रक्रिया पर रोक बरकरार रहेगी। पिछले दिन, यानी 25 जून को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में लगभग दो घंटे तक सुनवाई चली। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह चुनाव न कराने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि चुनाव नियमों के अनुसार हों।
सुनवाई का संदर्भ
जैसे-जैसे उत्तराखंड पंचायत चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है, मामले की जटिलता बढ़ती जा रही है। उत्तराखंड सरकार के महाधिवक्ता ने बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था। यह नियम 9 जून को जारी किया गया था और इसके बाद 14 जून को इसे गजट में नोटिफाई किया गया। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 243 टी के अनुसार आरक्षण का रोस्टर अनिवार्य है।
सरकार का तर्क और अदालत की प्रतिक्रिया
सरकार ने अदालत में यह तर्क पेश किया कि कुछ याचिकाकर्ताओं के कारण पूरी चुनाव प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता। इस पर अदालत ने यह पूछा कि कितनी सीटों पर आरक्षण रोस्टर की पुनरावृत्ति हुई है और क्या यह पंचायत राज अधिनियम तथा संविधान के अनुच्छेद 243 टी का उल्लंघन नहीं है? इसके बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि याचिकाओं की सुनवाई 26 जून को भी अनिवार्य रूप से चलती रहेगी।
आरक्षण नियमावली को मिली है चुनौती
विशेष रूप से, बागेश्वर के निवासी गणेश कांडपाल और अन्य नागरिकों ने राज्य सरकार द्वारा 9 और 11 जून को जारी नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सरकार ने इस नियमावली में उत्तराखंड में अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित किया, जिसका प्रभाव यह हुआ कि नया आरक्षण रोस्टर पहली बार वर्तमान चुनाव में लागू किया जा रहा है।
15 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार का यह निर्णय पूर्व में अदालत द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ है। पंचायती राज अधिनियम 2016 के धारा 126 के अनुसार, कोई भी नियम तभी प्रभावी माना जाएगा जब उसका सरकारी गजट में प्रकाशन हो। इस संदर्भ में, एकलपीठ में करीब 15 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिन्हें खंडपीठ में सुनवाई के लिए भेजा गया। सबकी उत्सुकता इस बात को लेकर है कि 14 जून को गजट नोटिफिकेशन के बाद केंद्रीय सचिवालय और अन्य संस्थाओं को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई।
निष्कर्ष
इस मामले में सुनवाई की लगातार प्रक्रिया यह दर्शाती है कि न्यायालय हर पहलू को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की दिशा में अग्रसर है। याचिकाकर्ताओं और सरकार दोनों के तर्कों का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है। अब सबकी निगाहें 26 जून को होने वाली सुनवाई पर हैं, जब इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोर्ट की सुनवाई भारतीय लोकतंत्र की अपेक्षाओं के अनुरूप होगी या नहीं। हम निरंतर इस मामले पर ध्यान देंगे और आपको ताजा जानकारी प्रदान करते रहेंगे।
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