सीतापुर : बाघ के हमले में किसान की मौत, वन विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

सीतापुर, अमृत विचार : विकास खंड महोली क्षेत्र के नरनी गांव में शुक्रवार की शाम खेतों पर फसल देखने गए किसान पर बाघ ने हमला कर उसकी जान ले ली। 24 वर्षीय सौरभ दीक्षित का शव खेत में क्षत-विक्षत अवस्था में मिला। इस दर्दनाक घटना से गांव और आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई। ग्रामीणों ने वन विभाग की लापरवाही को युवक की मौत का जिम्मेदार ठहराया। खेत में खून से लथपथ मिला शव : गांव निवासी सौरभ दीक्षित पुत्र वेद प्रकाश शुक्रवार शाम खेत देखने गए थे। देर तक घर न लौटने पर परिजन व ग्रामीण उनकी तलाश...

Aug 23, 2025 - 00:37
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सीतापुर : बाघ के हमले में किसान की मौत, वन विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

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सीतापुर, अमृत विचार : विकास खंड महोली के नरनी गांव में शुक्रवार शाम खेत देखने गए किसान पर एक बाघ ने हमला कर उसकी जान ले ली। 24 वर्षीय सौरभ दीक्षित का शव खेत में क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया। इस दुःखद घटना से गांव और आस-पास के इलाकों में दहशत और शोक का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने वन विभाग की लापरवाही को युवक की मौत का जिम्मेदार ठहराया है।

खेत में खून से लथपथ शव मिला

गांव निवासी सौरभ दीक्षित, जो कि वेद प्रकाश के पुत्र थे, शाम को अपने खेत पर गए थे। देर रात तक घर न लौटने पर उनके परिजनों और ग्रामीणों ने उनकी खोजबीन शुरू की। जब वे खेत पहुंचे, तो वहां का दृश्य भयावह था—सौरभ का शव खून से लथपथ और बाघ के हमले के गहरे निशानों के साथ पड़ा हुआ था। यह न केवल एक दर्दनाक दृश्य था, बल्कि यह एक गंभीर समस्या की ओर भी इशारा कर रहा था। 

पूरे क्षेत्र में कोहराम

सौरभ की मौत की खबर पूरे क्षेत्र में तेजी से फैली, जिससे हर तरफ मातम और दहशत छा गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। यह घटना वन्यजीवों और मानवों के बीच संतुलन की गंभीरता को रेखांकित करती है, जो अब एक अहम मुद्दा बन गया है।

ग्रामीणों का वन विभाग पर आक्रोश

जैसे ही घटना का पता चला, वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, लेकिन ग्रामीणों की नाराजगी शांत नहीं हुई। उनका आरोप है कि वे पहले ही वन विभाग को बाघ की गतिविधियों के बारे में सूचित कर चुके थे, लेकिन अधिकारियों ने कुछ नहीं किया। इस कारण एक निर्दोष युवक अपनी जान खो बैठा। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय पर उचित सावधानियाँ बरती जातीं, तो यह दुखद घटना टल सकती थी। 

क्या है असली समस्या?

यह घटना केवल एक किसान की हत्या नहीं है, बल्कि यह वन विभाग की लापरवाही का एक स्पष्ट उदाहरण है। प्रशासन को पहले से ही बाघ की गतिविधियों के बारे में जानकारी थी, फिर भी कोई सुरक्षा उपाय क्यों नहीं किए गए? ये सवाल पूरे क्षेत्र को परेशान कर रहे हैं। ग्रामीणों का सरकार से यह अनुरोध है कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। 

निष्कर्ष

यह घटना एक चेतावनी है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि वन्य जीवों और मानवों के बीच सहयोग के लिए हमें क्या उपाय करने चाहिए। सभी को मिलकर सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इससे न केवल लोगों का जीवन सुरक्षित होगा, बल्कि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए भी सकारात्मक कदम उठाए जा सकेंगे।

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लेखिका: संध्या शर्मा, टीम Netaa Nagari

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