“राजा भैया ने संविधान से समाजवाद और सेक्युलर शब्द हटाने की मांग की”, “पॉडकास्ट में किए बड़ा खुलासा”
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने हाल ही में भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्रा के साथ पॉडकास्ट में संविधान को लेकर बड़ा बयान दिया। राजा भैया ने कहा कि संविधान में मौजूद ‘समाजवाद’ … The post “संविधान से समाजवाद और सेक्युलर शब्द हटाए जाएँ”, “राजा भैया का पॉडकास्ट में बड़ा खुलासा” appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

“राजा भैया ने संविधान से समाजवाद और सेक्युलर शब्द हटाने की मांग की”, “पॉडकास्ट में किए बड़ा खुलासा”
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Netaa Nagari
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें आमतौर पर राजा भैया के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में संविधान से जुड़े एक गंभीर बयान दिया। उन्होंने कहा कि संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘सेक्युलर’ शब्दों को हटाना चाहिए ताकि यह अधिक सटीक रूप में मूल भावना को प्रदर्शित कर सके।
संविधान की प्रस्तावना का महत्व
राजा भैया ने इस पॉडकास्ट में ब्रजेश मिश्रा के साथ चर्चा के दौरान कहा कि संविधान की प्रस्तावना, जो संविधान की आत्मा मानी जाती है, उसी रूप में रहनी चाहिए जैसा इसे संविधान सभा ने तैयार किया था। उनका कहना है कि संविधान के प्रारंभिक निर्माण के समय कुछ शब्दों का समावेश नहीं करना अधिक उपयुक्त था। उन्होंने कहा कि “कई देशों में संविधान का महत्व नहीं होता, लेकिन जहां संविधान को मान्यता मिलती है, वहां की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है।”
ऐतिहासिक संदर्भ और विचार
राजा भैया ने अपने बयान में भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में महान नेताओं जैसे बाबा साहेब अंबेडकर, पंडित नेहरू और सरदार पटेल का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि संविधान सभा के अध्यक्ष बाबू राजेंद्र प्रसाद थे। इसके साथ ही, राजा भैया ने 1976 में इंदिरा गांधी द्वारा संविधान की प्रस्तावना में किए गए संशोधन पर भी टिप्पणी की। उनका कहना था कि यह संशोधन एक तानाशाही का उदाहरण है।
विभिन्न विचारधाराओं पर चर्चा
राजा भैया ने सवाल किया कि क्या इंदिरा गांधी का यह संशोधन यह दिखाता है कि वे बाबा साहेब अंबेडकर या सरदार पटेल से अधिक शिक्षित थीं। उन्होंने कहा कि यह संशोधन केवल राजनीतिक स्वार्थ का परिणाम था और इसने संविधान की मौलिक भावना को प्रभावित किया। इसके अलावा, उन्होंने समाजवादी आंदोलन और समाजवादी पार्टी की नींव में कांग्रेस के खिलाफ भावना को भी रेखांकित किया।
राजनीतिक संदर्भ
राजा भैया का यह बयान वर्तमान राजनीतिक परिवेश में संविधान की प्रस्तावना के महत्व पर एक नई बहस को जन्म देता है। उनकी यह टिप्पणी, जिसमें कहा गया है कि यदि लोहिया या आचार्य नरेंद्र देव जीवित होते, तो वे कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करते, स्पष्ट करती है कि वह मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर कितनी संजीदा हैं।
निष्कर्ष
राजा भैया का यह बयान इतिहास और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के बीच आपसी संवाद को जन्म देता है। संविधान की आत्मा और उसकी सार्थकता के विषय में इस प्रकार की चर्चा जरूरी है। उनकी टिप्पणियाँ समाज में व्यापक विमर्श को प्रेरित कर सकती हैं।
अंत में, राजा भैया ने अपने विचारों को दोहराते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना उसकी मूल स्वरूप में रहनी चाहिए जैसा कि इसे संविधान सभा ने निर्धारित किया था।
देश की राजनीति पर इस तरह के बयानों का प्रभाव क्या होगा, यह देखना अहम होगा। अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। For more updates, visit netaanagari.
Keywords:
संविधान, राजा भैया, समाजवाद, सेक्युलर, पॉडकास्ट, भारतीय राजनीति, प्रस्तावना, इंदिरा गांधी, राजनीतिक विचारधारा, कुंडा विधानसभाWhat's Your Reaction?






