Sexual Health : सावधान ! कर रहें नाइट शिफ्ट तो हो जाएं अलर्ट, नहीं तो डैडी बनने में होगी परेशानी
आजकल की तेज-तर्रार जिंदगी में पति-पत्नी दोनों के लिए काम करना जरूरी हो गया है, जिससे कई लोग नाइट शिफ्ट में काम करने को मजबूर होते हैं। हालांकि, हाल ही में आई रिसर्च से पता चला है कि लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से न सिर्फ शरीर के हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं, बल्कि … The post Sexual Health : सावधान ! कर रहें नाइट शिफ्ट तो हो जाएं अलर्ट, नहीं तो डैडी बनने में होगी परेशानी appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.


आजकल की तेज-तर्रार जिंदगी में पति-पत्नी दोनों के लिए काम करना जरूरी हो गया है, जिससे कई लोग नाइट शिफ्ट में काम करने को मजबूर होते हैं। हालांकि, हाल ही में आई रिसर्च से पता चला है कि लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से न सिर्फ शरीर के हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं, बल्कि इससे नींद भी प्रभावित होती है, जिसका सीधा असर पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर पड़ सकता है। इसलिए, नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी डाइट, नींद और लाइफस्टाइल पर खास ध्यान दें, ताकि उनकी सेक्स लाइफ और फर्टिलिटी सही बनी रहे।
क्यों होता है ऐसा?
नाइट शिफ्ट में काम करने से शरीर की सर्कैडियन रिदम यानी आंतरिक घड़ी बिगड़ जाती है, जो हमारे शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाओं को नियंत्रित करती है। इसमें फर्टिलिटी भी शामिल है। इस वजह से नाइट शिफ्ट के कारण पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। महिलाओं में यह पीरियड्स को अनियमित कर सकता है और गर्भधारण में मुश्किलें ला सकता है, जबकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर घट सकता है और हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं।
नाइट शिफ्ट का महिलाओं पर असर
- पीरियड्स का अनियमित होना – लगातार नाइट शिफ्ट करने से महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, जिसका सीधा असर गर्भधारण की क्षमता पर पड़ता है।
- बांझपन का खतरा – हार्मोन असंतुलन और ओव्यूलेशन में रुकावट के कारण बांझपन का खतरा बढ़ सकता है।
- गर्भपात का खतरा – नाइट शिफ्ट के कारण मेलाटोनिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे गर्भाशय का माहौल प्रभावित हो सकता है और गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
- एंडोमेट्रियोसिस और PCOS – नाइट शिफ्ट की वजह से एंडोमेट्रियोसिस और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
पुरुषों में नाइट शिफ्ट का असर
- शुक्राणु में कमी – लंबे समय तक नाइट शिफ्ट करने से पुरुषों के शुक्राणु की संख्या पर बुरा असर पड़ता है, जो सीधे प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
- हार्मोनल असंतुलन – नाइट शिफ्ट के कारण टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है, जिससे पुरुषों की सेक्सुअल हेल्थ और प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
- DNA में नुकसान – सर्कैडियन रिदम में गड़बड़ी से शुक्राणु के DNA में टूट-फूट बढ़ सकती है, जिससे गर्भपात और बच्चों में आनुवंशिक असामान्यताओं का खतरा बढ़ सकता है।
नाइट शिफ्ट में भी सेहत और फर्टिलिटी बनाए रखने के टिप्स
- लाइफस्टाइल में बदलाव – छुट्टी के दिन भी नींद का नियमित समय बनाए रखें, ताकि शरीर की सर्कैडियन रिदम सुधरी रहे।
- स्वस्थ खान-पान – रोजाना फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज खाएं। ये हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और शरीर को ताकत देने में मदद करते हैं।
- व्यायाम – हल्का और नियमित व्यायाम तनाव कम करता है और सर्कैडियन रिदम को सपोर्ट करता है। हालांकि, सोने से ठीक पहले भारी व्यायाम से बचें।
नाइट शिफ्ट करने वाले व्यक्तियों को अपनी सेहत और फर्टिलिटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वे अपनी सेक्सुअल हेल्थ और प्रजनन क्षमता को बनाए रख सकें।
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