पीलीभीत में झोलाछाप डॉक्टरों की फिर से वापसी, स्वास्थ्य विभाग ने खोली बंद दुकानें!

पीलीभीत स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। जिले में अवैध रूप से संचालित 114 झोलाछाप डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स पर हुई सीलिंग की कार्रवाई अब सिर्फ कागज़ों में रह गई है। बिना आदेश, बिना प्रक्रिया — खुलवा दीं सील की गई दुकानें! विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों यानी CMO … The post झोलाछापों की वापसी! बिना आदेश, बिना प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग ने खुलवा दी सील दुकानें appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

Jun 30, 2025 - 18:37
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पीलीभीत में झोलाछाप डॉक्टरों की फिर से वापसी, स्वास्थ्य विभाग ने खोली बंद दुकानें!
झोलाछापों की वापसी! बिना आदेश, बिना प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग ने खुलवा दी सील दुकानें

पीलीभीत में झोलाछाप डॉक्टरों की फिर से वापसी, स्वास्थ्य विभाग ने खोली बंद दुकानें!

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कम शब्दों में कहें तो, पीलीभीत के स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में आ गई है। जिले में अवैध रूप से चल रहे 114 झोलाछाप डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स पर की गई सीलिंग अब महज कागज़ों की बात रह गई है। बिना किसी आदेश और प्रक्रिया के स्वास्थ्य विभाग ने फिर से सील की गई दुकानों को खोलने का फैसला लिया है।

बिना आदेश, बिना प्रक्रिया — खुल गईं सील की गई दुकानें!

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी, जैसे CMO आलोक शर्मा और MOIC की मिलीभगत के कारण सील की गई दुकानों के ताले तोड़कर उन पर फिर से संचालन शुरू किया गया है। इस प्रक्रिया में दुकानों का सामान चुपचाप बाहर निकालकर दूसरी दुकानों में शिफ्ट कर दिया गया है। यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाता है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल देता है।

उगाही का खेल?

सील खोलवाने के नाम पर लाखों की उगाही का आरोप भी सामने आया है। बरखेड़ा, बिलसंडा, बीसलपुर, अमरिया और जहानाबाद जैसे क्षेत्रों में इस गोरखधंधे के संचालन की चर्चा जोरों पर है। यह जानना आवश्यक है कि क्या यह सब स्वास्थ्य विभाग की मौन सहमति से हो रहा है या फिर इसमें कुछ और ही मंशा है।

कार्यवाही का दिखावा, असल में संरक्षण?

यह अत्यंत चिंताजनक है कि सील तोड़ने और फिर से दुकानें खोलने के बाद भी अब तक किसी भी झोलाछाप डॉक्टर या अवैध मेडिकल स्टोर स्वामी पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। यह स्थिति जनता में आक्रोश पैदा कर रही है, और इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।

जनता से धोखा या सिस्टम की नाकामी?

स्वास्थ्य विभाग की यह कार्यशैली गंभीर सवाल उठाती है। जनता के स्वास्थ्य के साथ हो रहा यह खिलवाड़ आखिर कब रुकेगा? क्या सरकार इस मामले का संज्ञान लेगी या इसे भी समय के साथ भुला दिया जाएगा? जनहित में स्वास्थ्य विभाग को कड़े निर्णय लेने और अपनी कार्यशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है।

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इस पूरी स्थिति ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध चिकित्सा प्रथा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अन्यथा, देश के गरीब और जरूरतमंद लोग पुनः झोलाछाप डॉक्टरों का शिकार बनते रहेंगे।

लेखिका: सुषमा वर्मा
टीम Netaa Nagari

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