उत्तर प्रदेश विधानसभा में एआई के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता को बढ़ाने हेतु विशेष सत्र का आयोजन
लखनऊ। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से जन प्रतिनिधियों की कार्यकुशलता को बढ़ाने के मकसद से उत्तर प्रदेश विधानसभा में रविवार को सदन के सदस्यों के लिये एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक 'जन प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना : एआई के माध्यम से संचार को मजबूत करना' विषय पर विधानसभा में एक विशेष सत्र आयोजित हुआ। सत्र में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना एवं विभिन्न दलों के कई सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन सूचना-प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉक्टर हर्षित और आशुतोष तिवारी ने किया और विषय की...

उत्तर प्रदेश विधानसभा में एआई के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता को बढ़ाने हेतु विशेष सत्र का आयोजन
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लखनऊ। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश विधानसभा में रविवार को सदन के सदस्यों के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य विषय 'जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना: एआई के माध्यम से संचार को मजबूत करना' रखा गया।
विशेष सत्र का महत्व और उद्देश्य
इस विशेष सत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों के अलावा नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन सूचना-प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉक्टर हर्षित और आशुतोष तिवारी ने किया, जिन्होंने एआई की प्रक्रियाओं का उपयोग करके जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए विचार प्रस्तुत किए।
तकनीक का सुधार और कार्यकुशलता
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि "तकनीक समय के साथ विकसित होती है," और विधायकों के लिए नई तकनीकों को अपनाना अनिवार्य हो गया है। उनका मानना है कि एआई के द्वारा न केवल कार्यकुशलता में वृद्धि की जा सकती है, बल्कि जनता के साथ संवाद को भी अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाया जा सकता है। "तकनीक केवल सुविधा का माध्यम नहीं है, यह हमारे काम करने के तरीके को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है," उन्होंने जोड़ा।
नेताओं की अनुभूति और पुस्तक विमोचन
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने इस पहल को सराहा और कहा कि उन्हें खुशी है कि विधानसभा में नई तकनीक को अपनाया जा रहा है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने एआई को 'ज्ञान का स्रोत' बताते हुए कहा कि इसका सही उपयोग विधायकों को अधिक प्रभावी बना सकता है। इस सत्र में हिस्सा लेने वाले सदस्यों ने अपने विचार और प्रश्न रखे, सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि एआई जनप्रतिनिधियों को अधिक शक्तिशाली बनाकर जनता की सेवा में नई संभावनाएं प्रस्तुत करती है।
इस अवसर पर 'विधायकों के लिए एआई-संचालित शासन' शीर्षक वाली एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इसमें एआई के मूल सिद्धांतों से लेकर बहुभाषी संचार, स्वचालित नीति विश्लेषण और नैतिक उपयोग के दिशा-निर्देशों की जानकारी शामिल है। विधानसभा अध्यक्ष महाना ने जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए इन तकनीकी उपकरणों की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि निर्णय लेने और जनसेवा को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
तकनीकी समाधान और भविष्य की संभावनाएं
सत्र में तकनीकी विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि कैसे एआई का उपयोग ‘वॉइस-टू-टेक्स्ट’, अनुवाद और दस्तावेज़ीकरण में किया जा सकता है। प्रस्तावित एआई समाधानों में एकीकृत डैशबोर्ड और चैटबॉट शामिल हैं, जो विधायकों और जनता के लिए सूचनाएं त्वरित उपलब्ध कराएंगे। इस तकनीकी पहल से जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता में सुधार की उम्मीद है।
संक्षेप में निष्कर्ष
इस विशेष सत्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एआई की तकनीकें न केवल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वर्तमान में जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता बढ़ाने का एक सशक्त साधन बन गई हैं। यह विकास न सिर्फ विधायकों को सहायक होगा, बल्कि आम जनता के साथ संवाद की प्रक्रिया को भी सुगम बनाएगा। जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली में यह सुधार निश्चय ही लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।
स्रोत: Netaa Nagari
इस अवसर पर उपस्थित सभी नेताओं और तकनीकी सलाहकारों का मानना है कि उठाए गए कदम जनप्रतिनिधियों के लिए बेहतर भविष्य की संभावनाएं खोलेंगे।
लेखिका: सुषमा शर्मा, Team Netaa Nagari
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