इलाहाबाद हाईकोर्ट में पाँच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति: केंद्र ने दी हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर हुआ फैसला,
इलाहाबाद हाईकोर्ट में पाँच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति: केंद्र ने दी हरी झंडी
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कम शब्दों में कहें तो, इलाहाबाद हाईकोर्ट में पाँच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से न्यायालय की कार्यक्षमता में सुधार होगा। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने इन नियुक्तियों को सोमवार को मंजूरी दी है। अब्दुल शाहिद, ज़फीर अहमद, संतोष राय, तेज प्रताप तिवारी और प्रमोद कुमार श्रीवास्तव-द्वितीय इस नई नियुक्ति में शामिल हैं। प्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए ये नियुक्तियाँ बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगी।
नियुक्तियों का महत्व
इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या वर्तमान में 160 है, जिसमें से केवल 80 ही काम कर रहे हैं। ऐसे में, नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से न्याय वितरण में तेजी लाने में मदद मिलेगी। इस कमी के कारण न्यायालय में 1000 से अधिक मामले लंबित हैं, जिसका असर न्यायिक कार्यवाही पर पड़ रहा है। नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से इन मामलों के त्वरित निपटारे की संभावना बढ़ी है, जो प्रदेशवासियों के लिए एक राहत की बात है।
जिम्मेदारियों का बोझ और जनहित याचिका
इसी दौरान, इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को त्वरित करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि वर्तमान में अधिकतर न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं, जिससे न्यायिक कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। सही समय पर न्याय ना मिलने के कारण लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में पाँच नए न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति हुई है।
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर इन नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
- हाईकोर्ट में 50% से अधिक न्यायाधीशों के पद अब भी खाली हैं।
- जनहित याचिका के जरिए नियुक्तियों में देरी के मुद्दे को उठाया गया है।
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निष्कर्ष
इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायिक व्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे ना केवल न्याय वितरण में तेजी आएगी, बल्कि आम जन ने भी बेहतर न्याय प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है। अब सरकार और अन्य प्राधिकरणों को इस दिशा में निरंतर कार्य करना चाहिए जिससे न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में कमी आए।
इन नियुक्तियों से यह भी स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार न्यायपालिका के प्रति गंभीर है और न्यायिक अधिकारियों के लिए भी यह एक सकारात्मक संकेत है।
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