यूपीपीसीएल के लेखाकार दिलीप कुमार पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट हुई दर्ज, 51 लाख का खर्च नहीं दे सके साक्ष्य

लखनऊ, अमृत विचार। यूपीपीसीएल के महानगर मुख्य अभियंता कार्यालय में तैनात लेखाकार दिलीप कुमार अग्रवाल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की रिपोर्ट महानगर कोतवाली में दर्ज की गयी है। जांच के दौरान विजिलेंस को 14 साल की आय-व्यय में करीब 51 लाख रुपये का खर्च अधिक मिले। पूछताछ में आरोपी कोई ब्योरा नहीं दे सके। जिसके बाद विजिलेंस निरीक्षक ने रिपोर्ट दर्ज करायी है। इंस्पेक्टर महानगर अखिलेश कुमार मिश्र ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड मुख्यालय शक्ति भवन द्वारा 7 अप्रैल 2022 को...

Aug 27, 2025 - 00:37
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यूपीपीसीएल के लेखाकार दिलीप कुमार पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट हुई दर्ज, 51 लाख का खर्च नहीं दे सके साक्ष्य

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लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के महानगर मुख्य अभियंता कार्यालय में तैनात लेखाकार दिलीप कुमार अग्रवाल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। महानगर कोतवाली में दर्ज इस रिपोर्ट के अनुसार, जांच के दौरान विजिलेंस ने 14 साल की आय-व्यय की समीक्षा की और लगभग 51 लाख रुपये के अतिरिक्त खर्च का खुलासा किया। आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि इस संदर्भ में दिलीप कुमार अग्रवाल कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए। इस घटना ने सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार की समस्या को फिर से उजागर किया है।

जांच की शुरुआत

इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्रा के अनुसार, यूपीपीसीएल मुख्यालय शक्ति भवन द्वारा 7 अप्रैल 2022 को दिलीप कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की खुली जांच के लिए पत्र जारी किया गया था। इसके बाद, सतर्कता मुख्यालय ने इस मामले की गहराई से जांच के लिए एक टीम का गठन किया। इस जांच में दिलीप कुमार की संपत्ति का आकलन 13 मार्च 2008 से 31 मार्च 2022 के बीच किया गया।

खर्च का अलार्मिंग आंकड़ा

जांच में यह सामने आया कि दिलीप कुमार की कुल आय 1,89,29,062 रुपये थी, जबकि इस अवधि में उन्होंने 2,40,32,620 रुपये खर्च किए। इसका तात्पर्य यह है कि उन्होंने 51,03,558 रुपये (26.96 प्रतिशत) अधिक खर्च किए, जो उनके वित्तीय संतुलन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। खास बात यह है कि जब उनसे इस अतिरिक्त खर्च के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा गया, तो वे कोई सटीक जानकारी प्रदान नहीं कर सके। यह स्थिति उनकी वित्तीय स्थिति पर चिंता का विषय बना रही है।

भ्रष्टाचार की रिपोर्ट और सतर्कता टीम की भूमिका

जांच के निष्कर्षों के बाद, उच्चाधिकारियों को उचित कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी गई। इसके आधार पर, सतर्कता मुख्यालय के निरीक्षक गंगेश कुमार शुक्ला ने दिलीप के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की। इस घटनाक्रम ने सरकारी सतर्कता टीम की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न उठाए हैं, जिसमें यह सवाल उठता है कि क्या भ्रष्टाचार की रोकथाम की दिशा में वे प्रभावी कदम उठा रहे हैं।

भविष्य की दिशा

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या दिलीप कुमार अग्रवाल को न्यायालय में पेश किया जाएगा? सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्ती का प्रदर्शन कर सके। यह स्पष्ट है कि कर्मचारी में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव रहने पर भ्रष्टाचार का यह संकट बढ़ता जाएगा।

स्थानीय नागरिकों के बीच भी कानून-व्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। प्रवक्ता का कहना है कि ऐसे मामलों में एक समिति गठित की जानी चाहिए, जो अन्य सरकारी विभागों में भी निष्पक्षता से जांच कर सके।

अंततः, हमें आशा है कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत उदाहरण पेश किया जाएगा।

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लेखिका, सुमन कुमारी और टीम Netaa Nagari के अन्य सदस्यों द्वारा।

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