पीलीभीत: विहिरप जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, पद से निष्कासन और जमानत याचिकाओं की सुनवाई

पीलीभीत, अमृत विचार। रविवार को जेल भेजे गए विश्व हिंदू रक्षा परिषद (विहिरप) के जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किल कम नहीं हो सकी है। एक तरफ संगठन विरोधी गतिविधियों पर पद से राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने निष्कासित कर दिया है। वहीं, एक-एक कर पांच मुकदमे दर्ज होने के बाद तीन प्रकरणों में डाली गई जमानत याचिकाओं में सुनवाई हुई। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हंगामा करने के मामले में जमानत याचिका सीजेएम न्यायालय से स्वीकृत हो गई जबकि कैफे संचालक से रंगदारी वसूलने के मामले में जमानत नहीं मिल सकी है। वहीं, एसीजेएम कोर्ट से पंडरी गांव...

Sep 24, 2025 - 00:37
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पीलीभीत: विहिरप जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, पद से निष्कासन और जमानत याचिकाओं की सुनवाई
पीलीभीत: विहिरप जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, पद से निष्कासन और जमानत याचिकाओं की सुनवाई

पीलीभीत: विहिरप जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, पद से निष्कासन और जमानत याचिकाओं की सुनवाई

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कम शब्दों में कहें तो, पीलीभीत में विश्व हिंदू रक्षा परिषद (विहिरप) के जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। उनके खिलाफ संगठित गतिविधियों के चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय द्वारा उन्हें निष्कासित किया गया है, और इसके अलावा उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों में से कई जमानत याचिकाओं को भी अदालत ने खारिज कर दिया है।

पीलीभीत, अमृत विचार। रविवार को जेल भेजे गए विश्व हिंदू रक्षा परिषद के जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। संगठन विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने पद से निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही, कुल पांच मुकदमे दर्ज होने के बाद, उनके खिलाफ तीन प्रकरणों में दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की गई। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हंगामा करने के मामले में जमानत याचिका को CJM न्यायालय से स्वीकृति मिल गई, लेकिन कैफे संचालक से रंगदारी वसूलने के मामले में उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। इसी तरह, पंडरी गांव के प्रधान पुत्र द्वारा दर्ज एफआईआर में भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी और जमानत की स्थिति

टनकपुर हाईवे पर जाम लगाने के कारण यशवंत सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मंगलदेव सिंह की अदालत में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें से एक मामला मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हंगामा करने से संबंधित था, जबकि दूसरे मामले में उन पर कैफे संचालक से 60 हजार रुपये रंगदारी वसूलने का आरोप है। न्यायालय ने रंगदारी के मामले में उनकी जमानत याचिका को निरस्त कर दिया, जबकि हंगामा करने के मामले में जमानत स्वीकृत की है।

ज्ञात रहे कि यशवंत सिंह पर पहली FIR 13 सितंबर को पंडरी गांव के प्रधान पुत्र कमल कुमार द्वारा दर्ज कराई गई थी। इस मामले से संबंधित जमानत याचिका एसीजेएम सतीश कुमार की अदालत में दी गई थी, जिसे भी खारिज कर दिया गया है।

आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका और सुनवाई

विश्व हिंदू रक्षा परिषद के वरिष्ठ महामंत्री गोपाल शर्मा भी इन पांच मामलों में से चार में नामजद हैं। टनकपुर हाईवे पर जाम लगाने के बाद पुलिस की कार्रवाई के समय से वह फरार हैं। उन्होंने एसीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण की याचिका दी है, जिस पर 25 सितंबर को सुनवाई होगी।

इसी बीच, अन्य आरोपी आशीष लोधी, गौरव राणा, शिवम सक्सेना और प्रिंस बजरंगी उर्फ प्रशांत भारद्वाज अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में पहुंचे हैं। उनकी ओर से दी गई अग्रिम जमानत अर्जी की कॉपी पुलिस को भेज दी गई है। इस पर सुनवाई 29 सितंबर को की जाएगी।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

इस बीच, विश्व हिंदू रक्षा परिषद के जिलाध्यक्ष यशवंत सिंह का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वह और अन्य पदाधिकारी दिखाई दे रहे हैं और एक परिवार के साथ तीखी नोकझोंक हो रही है। यह मामला पूरनपुर क्षेत्र का बताया जा रहा है और इसे जमीन या मकान को खाली कराने के लिए दबाव बनाने के संदर्भ में देखा जा रहा है। मंगलवार को यह वीडियो कई फेसबुक आईडी पर अपलोड किया गया था।

यशवंत सिंह का संगठन से निष्कासन

जेल में बंद होने के कारण यशवंत सिंह को विश्व हिंदू रक्षा परिषद के सचिव रचना गौतम के आदेश से पद से निष्कासित कर दिया गया है। गोपाल राय ने स्पष्ट किया है कि यशवंत सिंह की गतिविधियाँ संगठन के खिलाफ थीं, और इस पर उन्हें पद से हटाया गया है। इसकी जानकारी जिला magistrate और पुलिस अधीक्षक को भी दे दी गई है।

इस मामले ने न केवल यशवंत सिंह की व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि संगठन की प्रतिष्ठा को भी संदेह में डाल दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि संगठन इस स्थिति से कैसे निपटता है और आगे की रणनीति क्या होगी।

यह स्थिति कई सवालों को जन्म देती है, जैसे कि क्या संगठन के नियमों का पालन किया गया था और क्या एसीजेएम कोर्ट की प्रतिक्रिया संतोषजनक थी? आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि विहिरप इस संकट को कैसे संभालता है।

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Team Netaa Nagari - सुनीता शर्मा

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