किशोरियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर प्रशासन का जोर, जिला न्यायाधीश और डीएम ने किया निरीक्षण
बाराबंकी, अमृत विचार : महिला कल्याण विभाग संचालित राजकीय सम्प्रेषण गृह (किशोरी) और राजकीय विशेष गृह (किशोरी) का बुधवार को जिला न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव, जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी और मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन ने संयुक्त रूप से निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने किशोरियों से सीधे संवाद कर उनकी जरूरतें और सुझाव सुने, साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाने पर जोर दिया। निरीक्षण में अधिकारियों ने रसोईघर, शौचालय, आवासीय कक्ष और प्रशिक्षण कक्ष देखे। स्वच्छता और संसाधनों पर संतोष जताते हुए उन्होंने सुविधाओं को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने कहा कि किशोरियों की...
किशोरियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर प्रशासन का जोर, जिला न्यायाधीश और डीएम ने किया निरीक्षण
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बाराबंकी, अमृत विचार : बुधवार को महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय सम्प्रेषण गृह (किशोरी) और राजकीय विशेष गृह (किशोरी) का निरीक्षण जिला न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव, जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी तथा मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन ने मिलकर किया। इस मौक़े पर अधिकारियों ने किशोरियों से सीधे संवाद किया, उनके सुझावों को सुना और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित किया।
लड़कियों की बातें सुनने का महत्व
निरीक्षण के दौरान, जिला न्यायाधीश और जिलाधिकारी ने किशोरियों के साथ खुलकर चर्चा की। उन्होंने उनकी आवश्यकताओं को गंभीरता से लेते हुए जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया। डीएम ने कहा कि किशोरियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और भोजन तथा आवासीय सुविधाओं में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे संवादों से प्रशासन को बेटियों के उत्थान के लिए दिशा-निर्देश मिलेंगे।
स्वच्छता पर कड़ा ध्यान
इस दौरे में, अधिकारियों ने रसोईघर, शौचालय, आवासीय कक्ष और प्रशिक्षण कक्ष की स्थिति का अवलोकन किया। उन्होंने मौजूदा स्वच्छता की सराहना करते हुए और अधिक सुविधाएँ विकसित करने के सुझाव दिए। यह आवश्यक है कि किशोरियों को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
व्यावसायिक प्रशिक्षण का महत्व
अधिकारियों ने निर्णय लिया है कि किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा। यह प्रशिक्षण उनकी जीवन को सक्षम बनाएगा और रोजगार के अवसरों की दिशा में बढ़ाएगा। इस पहल का उद्देश्य किशोरियों में आत्मविश्वास की भावना को बढ़ावा देना है, जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।
स्वास्थ्य परीक्षण: एक जरुरत
डीएम और जिला न्यायाधीश ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की आवश्यकता पर भी जोर दिया। किशोरियों का स्वास्थ्य हमारा कर्तव्य है, और किसी भी स्वास्थ्य समस्या का सामना करने से पहले रोकथाम सबसे महत्वपूर्ण है।
किशोरी गृहों में की गई ये पहलों से यह स्पष्ट है कि प्रशासन बेटियों के उत्थान और उनके विकास के प्रति कितनी गंभीरता से कार्य कर रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि बेटियों को ठीक से शिक्षा और सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए, साथ ही उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया जाए।
इस निरीक्षण ने साबित कर दिया है कि जिला प्रशासन ने बेटियों की भलाई को प्राथमिकता देने का संदेश दिया है। हमें उम्मीद है कि ऐसी पहल से किशोरियों का जीवन और भी बेहतर बनेगा।
हमें सभी को बेटियों के अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और प्रशासन से अपेक्षा करनी चाहिए कि वह किशोरियों की जीवन स्थितियों में सुधार लाने के लिए तेजी से कार्रवाइयाँ करें।
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