इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी की अपील खत्म नहीं होती
सेवा समाप्ति विवाद में विधवा को मिला न्याय, अपील बहाल करने के निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी की अपील खत्म नहीं होती
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात उसकी लंबित विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती। न्यायालय ने कहा कि ऐसी अपीलें मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों के सेवा लाभों को प्रभावित कर सकती हैं। इस निर्णय ने विधवाओं और परिवारों के लिए एक नई आशा का संचार किया, जिन्हें अपने प्रियजनों की सेवा से जुड़े मुद्दों का सामना करना पड़ता है।
मामले का संक्षिप्त विवरण
यह निर्णय न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ द्वारा मुन्नी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में किया गया। मामला इस प्रकार है कि याचिका दाखिल करने वाली मृत कर्मचारी की पत्नी थी, जिनकी विभागीय सेवा समाप्ति के खिलाफ अपील केवल इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि कर्मचारी का निधन हो चुका है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियम 11 में अपील की समाप्ति का कोई उल्लेख नहीं है। इस प्रकार, अपीलीय प्राधिकारी को गुण-दोष के आधार पर अपील का निर्णय करना चाहिए।
कानूनी अधिकारों का संरक्षण
जज ने कहा कि यदि कर्मचारी पेंशन योग्य पद पर था, तो उसकी सेवा समाप्ति का निर्णय उसके परिवार की पेंशन, बकाया वेतन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए, मृतक के उत्तराधिकारी के पास उस अपील में भाग लेने और निर्णय को चुनौती देने का फुल कानूनी अधिकार है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विधवाओं और अन्य उत्तराधिकारियों को उनकी हिस्सेदारी के लिए लड़ने का अवसर देती है।
अपील को बहाल करने का निर्देश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपीलीय प्राधिकारी का तर्क कि मृतक के स्थान पर कोई प्रतिस्थापन नहीं किया गया, सेवा कानून के खिलाफ है। मृतक के उत्तराधिकारी अपने कानूनी अधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्षम हैं। इस आधार पर, न्यायालय ने अपीलीय प्राधिकारी द्वारा केवल मृत्यु के कारण अपील को खत्म करने का निर्णय गलत ठहराया और अपील को बहाल कर दिया। साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि अपील पर निर्णय, आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने से दो महीने के भीतर किया जाए।
महत्व और फैसला
इस निर्णय का व्यापक महत्व है, विशेषकर उन कर्मचारियों के लिए जो सरकारी सेवाओं में काम कर रहे हैं। यह फैसला न केवल सेवा नियमों को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि मृतक के परिवार को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा। इस प्रकार के निर्णय स्थायी सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि सेवा से संबंधित मुद्दों का न्यायिक समाधान किया जाए।
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इस फैसले से एक नई उम्मीद के दीप जलते हैं, कि अब हकदार व्यक्ति अपनी आवाज उठा सकेंगे और प्रशासन में प्रभावी सुनवाई की उम्मीद कर सकेंगे।
हमारी टीम के लिए यह निर्णय सभी के लिए एक उदाहरण है कि हमें हमेशा अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए।
लेखक: सुमिता शर्मा, राधिका मेहता एवं टीम Netaa Nagari
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