उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: BJD, BRS, और SAD का चुनाव बहिष्कार, 386 वोटों का गणित कैसे बदला?
Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में तीन राजनीतिक दलों… ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD)… ने चुनाव बहिष्कार कर मुकाबले को रोचक और चुनावी समीकरण को बदल दिया। फाइनल नंबर गेम कुल सांसद: 781 (लोकसभा 542 + राज्यसभा 239) NDA … The post VP Election: BJD-BRS-SAD ने किया बहिष्कार! जानिए कैसे बदला 386 वोटों का गणित, किसके हाथ लगेगा पद? appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: BJD, BRS, और SAD का चुनाव बहिष्कार, 386 वोटों का गणित कैसे बदला?
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कम शब्दों में कहें तो उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में बीजू जनता दल (BJD), भारत राष्ट्र समिति (BRS) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया, जिससे चुनावी गणित में बड़ा बदलाव आया है।
चुनाव में कुल सांसदों की स्थिति
इस उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल सांसदों की संख्या 781 है, जिसमें लोकसभा के 542 और राज्यसभा के 239 सदस्य शामिल हैं। NDA गठबंधन के पास 425 सांसद हैं, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस-INDIA ब्लॉक के पास 324 सांसद हैं। इस प्रकार, जीत हासिल करने के लिए 391 मतों की आवश्यकता होगी।
BJD, BRS और SAD का बहिष्कार
BJD, BRS और SAD ने मिलकर अपने 12 सांसदों के जरिए इस चुनाव का बहिष्कार किया। इससे कुल सांसदों की संख्या घटकर 769 रह गई है। अब चुनाव जीतने के लिए केवल 386 वोट चाहिए। इस परिस्थिति में NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को 100 से अधिक वोटों की बढ़त मिलने की संभावना बन रही है। हालांकि, क्रॉस वोटिंग की संभावना अभी भी बनी हुई है।
पद की खाली स्थिति
उपराष्ट्रपति पद 21 जुलाई 2025 को जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुआ। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से अपना पद छोड़ने का फैसला किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया। सामान्यतः, उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक चलता, लेकिन समय से पहले चुनाव कराए जा रहे हैं। अब देश को 17वें उपराष्ट्रपति का चुनाव देखने को मिलेगा।
निर्णय का राजनीतिक प्रभाव
BJD, BRS और SAD द्वारा किया गया चुनाव बहिष्कार न केवल उपराष्ट्रपति चुनाव की दिशा बदल सकता है, बल्कि यह अन्य राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। यह फैसला दर्शाता है कि ये दल एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी बात रखते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य में इन दलों का यह कदम उन्हें कितनी राजनीतिक ताकत देता है।
इस चुनावी महासमर में यह बहिष्कार एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह निर्णय राजनीतिक दृष्टि से कितना फलदायी है।
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— टीम नेटां नगारि
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