भारत बना वैश्विक डीलमेकिंग का प्रमुख केंद्र, तेजी का नया युग

मैक्रोइकोनॉमिक अनिश्चितताओं, ऊँची ब्याज दरों और भू-राजनीतिक जोखिमों के बावजूद दुनिया भर में डीलमेकिंग में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है। भारत इस वैश्विक हलचल में एक चमकता हुआ सितारा बनकर उभरा है। गोल्डमैन सैक्स की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग को-हेड किम-थु पॉसनेट ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कई अहम इनसाइट्स साझा किए। वैश्विक M&A में … The post ग्लोबल डीलमेकिंग में तेजी, भारत बना आकर्षण का केंद्र appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

Jun 26, 2025 - 18:37
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भारत बना वैश्विक डीलमेकिंग का प्रमुख केंद्र, तेजी का नया युग
ग्लोबल डीलमेकिंग में तेजी, भारत बना आकर्षण का केंद्र

भारत बना वैश्विक डीलमेकिंग का प्रमुख केंद्र, तेजी का नया युग

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कम शब्दों में कहें तो, मैक्रोइकोनॉमिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक जोखिमों के बावजूद, भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है, और यह वैश्विक डीलमेकिंग का नया केंद्र बन गया है। हाल में गोल्डमैन सैक्स के ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग प्रमुख किम-थु पॉसनेट ने भारत की ऊँचाई पर चढ़ती डीलमेकिंग की स्थिति पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं।

वैश्विक M&A में वृद्धि, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रमुखता

वैश्विक M&A (Merger & Acquisition) में अब जबरदस्त तेजी आई है। जहां $500 मिलियन से अधिक की डील्स में वैश्विक स्तर पर 17% की वृद्धि देखी गई है, वहीं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह वृद्धि 33% है। अमेरिका और यूरोप की तुलना में यह विकास भारत में ढेर सारे कॉर्पोरेट डील्स को दर्शाता है, जिससे M&A वॉल्यूम में एशिया में 190% की बढ़ोतरी हुई है।

इक्विटी कैपिटल मार्केट्स में सुधार

इक्विटी कैपिटल मार्केट्स (ECM) में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। पिछले कुछ महीनों में, भारत की ECM वॉल्यूम लगभग $14 बिलियन तक पहुंच गई है। इस साल (2025) के लिए, आंकड़े $22 बिलियन के स्तर तक पहुँचने की संभावना है, जो दर्शाता है कि भारत के पूंजी बाजार में गति को फिर से प्राप्त किया जा रहा है।

डिजिटल और इक्विटी क्षेत्र में भारत की ऊर्जा

वर्तमान में, भारत में डिजिटल क्रांति के साथ-साथ निवेश के प्रति बढ़ती उत्सुकता दिखाई दे रही है। 2024 के रिकॉर्ड-ब्रेकिंग ECM के बाद, 2025 में भी यह तेजी बनी रहने की उम्मीद है। इसके पीछे के मुख्य कारणों में शामिल हैं:

  • IPO के लिए तैयार स्टार्टअप्स की संख्या में वृद्धि,
  • घरेलू निवेशकों की भागीदारी में वृद्धि,
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों की मजबूत रुचि।

ब्रह्मांड में फिर से अपनी पहचान बनाने वाली भारतीय कंपनियों का पुनः-डोमिसाइल होना भी एक चलन बन गया है, जिससे भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

गोल्डमैन सैक्स की रणनीतियाँ

गोल्डमैन सैक्स ने भारत के प्रति अपनी रणनीतियों को केंद्रित किया है, जिसमें भारतीय इकाइयों की लिस्टिंग, विदेशी निवेशकों के साथ सामंजस्य बनाने और M&A डील्स में सक्रियता शामिल है। यह भारत की महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

AI और भविष्य की डीलमेकिंग

किम-थु पॉसनेट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कैपिटल फॉर्मेशन की प्रक्रिया को पुनर्परिभाषित कर रहा है। AI निवेश के विश्लेषण में मदद कर रहा है, जिससे निवेशकों को तेजी से बदलते बाज़ारों में बेहतर निर्णय लेने का अवसर मिल रहा है।

निष्कर्ष

2025 की दूसरी छमाही में, भारत विश्व स्तर पर डीलमेकिंग का प्रमुख केंद्र बनता दिखाई दे रहा है। चाहे वह IPO हो, M&A डील हों, या विदेशी लिस्टिंग—भारत की स्थिति नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है। यह न केवल वर्तमान आर्थिक संकट को पार कर रहा है, बल्कि आने वाले दशक में वैश्विक निवेश बाजार का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए, कृपया netaanagari.com पर जाएँ।

लेखक: दीपिका वर्मा, प्रिया शुक्ला, टीम नेटआनगरी

Keywords:

global dealmaking, India investment, M&A trends, Goldman Sachs, capital markets recovery, AI in investing, 2025 economic outlook, Asia-Pacific growth

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