भारत के प्रमुख शहरों में ओजोन प्रदूषण की गंभीर स्थिति, CSE की रिपोर्ट ने खोला सच

दिल्ली। इस गर्मी के मौसम में कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई सहित भारत के सभी महानगरों में सतह के नजदीक ओजोन प्रदूषण की उच्च सांद्रता देखी गई। यह दावा थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपने नए विश्लेषण के आधार पर किया है। सीएसई के पूर्व के विश्लेषण से पता चला था कि इस गर्मी में कई दिनों तक दिल्ली के दैनिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में ठोस कणों के बजाय ओजोन मुख्य प्रदूषक था। सीएसई की शहरी प्रयोगशाला द्वारा किए गए नए विश्लेषण में खुलासा हुआ है कि प्राथमिक प्रदूषकों के विपरीत ओजोन किसी भी...

Jul 16, 2025 - 18:37
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भारत के प्रमुख शहरों में ओजोन प्रदूषण की गंभीर स्थिति, CSE की रिपोर्ट ने खोला सच
भारत के इन बड़े शहरों में ओजोन प्रदूषण बना मुसीबत, CSE की नई रिपोर्ट में आया सामने 

भारत के प्रमुख शहरों में ओजोन प्रदूषण की गंभीर स्थिति, CSE की रिपोर्ट ने खोला सच

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कम शब्दों में कहें तो, इस गर्मी में भारत के कई बड़े शहरों जैसे कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में ओजोन प्रदूषण की उच्च सांद्रता देखी गई है। यह चौंकाने वाला खुलासा थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा किए गए एक नए विश्लेषण में किया गया है। इससे पहले, CSE ने बताया था कि दिल्ली में ओजोन प्रदूषक स्तर कई दिनों तक एक्यूआई में ठोस कणों को पीछे छोड़ गया था।

ओजोन प्रदूषण का नया विश्लेषण

CSE की शहरी प्रयोगशाला द्वारा प्रस्तुत नवीनतम अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि ओजोन मुख्य प्रदूषक नहीं होता, बल्कि यह अन्य प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की रासायनिक प्रतिक्रियाओं का नतीजा है। जब ये प्रदूषक सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं, तो वे ओजोन का निर्माण करते हैं, जिससे वायुमंडल की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ता है।

जन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

CSE की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने चेतावनी दी है, “यदि ओजोन प्रदूषण पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है। ओजोन एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है, जो कम समय में संपर्क में आने पर भी हानिकारक हो सकती है।” उन्होंने नीति में सुधार करने और इस प्रदूषण के स्रोतों की बेहतर निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके तहत ओजोन के स्तर को घटाने के लिए आवश्यक कदम शामिल होने चाहिए।

शहरों में ओजोन के स्तर की वृद्धि

विश्लेषण से पता चलता है कि 1 मार्च से 31 मई के बीच, मुंबई के 92 निगरानी केंद्रों में से 32 दिनों में ओजोन का स्तर अधिक रहा, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे चिंताजनक दिन 29 मार्च था, जब 31 में से आठ केंद्रों से ओजोन के स्तर के अधिक होने की खबर आई। ओजोन की अधिकतम सांद्रता 90 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई।

कोलकाता में, 92 में से 22 दिनों में ओजोन का स्तर मानक से अधिक रहा जबकि बेंगलुरु में यह आंकड़ा 45 दिनों तक पहुंच गया। इसके विपरीत, हैदराबाद में ओजोन का उच्चतम स्तर 51 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर देखा गया। इसी प्रकार, चेन्नई में भी इस गर्मी में 15 दिन ओजोन प्रदूषक के रूप में उभरा। यह एक गंभीर स्थिति है और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

समाधान की दिशा में कदम

इन आंकड़ों के मद्देनजर, शहरों के प्रशासन को तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए और इसमें अविलंब सुधार करने की आवश्यकता है। साथ ही, नागरिकों को भी अपनी सेहत के लिए सतर्क रहना होगा। जैसे-जैसे ओजोन प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, सभी को मिलकर इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। यह एक सामूहिक पहल दवारा ही संभव हो सकेगा।

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हम सीएसई को इस जानकारी के लिए धन्यवाद करते हैं। यह रिपोर्ट न केवल अधिकारियों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है। सच्चाई जानना और इसे साझा करना हमारे लिए आवश्यक है ताकि हम आगे बढ़ सकें।

लेखिका: प्रीति शर्मा

साइन-ऑफ: टीम नेटानागरी

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