प्रयागराज: पुलिस को अधिवक्ताओं से संपर्क करने से रोकने के लिए सरकार बनाएगी दिशा निर्देश
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि जिलाव्यापी आदेश पारित होने के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि राज्य सरकार शीघ्र ही इस संबंध में राज्य स्तर पर दिशा निर्देश तैयार करेगी, जिसके तहत पुलिसकर्मियों को न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित स्थान पर जाने तथा न्यायालय में विचाराधीन मामलों में पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं से सीधे संपर्क करने से रोका जाएगा। दरअसल जौनपुर गांव में गांव...
प्रयागराज: पुलिस को अधिवक्ताओं से संपर्क करने से रोकने के लिए सरकार बनाएगी दिशा निर्देश
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कम शब्दों में कहें तो, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पाया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा जिलाव्यापी आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इस मामले में अब राज्य सरकार ने अधिवक्ताओं से संपर्क को रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
प्रयागराज, अमृत विचार: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें यह बात सामने आई कि जिलाव्यापी आदेश जारी होने के बावजूद पुलिस अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। यह मामला जौनपुर गांव का है, जहां एक 90 वर्षीय याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उसे उसके मुकदमे को वापस लेने के लिए धमकी दी। अदालत ने इस गंभीर घटना को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट दिशा निर्देश तैयार करने के लिए कहा है।
राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय
जिन परिस्थितियों में यह आदेश पारित हुआ, उसमें अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जल्दी ही दिशा निर्देश तैयार करेगी, जिससे पुलिसकर्मियों को न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित स्थानों पर जाने और अधिवक्ताओं से सीधे संपर्क करने से रोक दिया जाएगा। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।
जौनपुर गांव के मामले की गंभीरता
जौनपुर में अतिक्रमण के मामले में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की आरोप लगाए गए थे। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे पुलिस द्वारा लगातार धमकाया जा रहा था। इस संदर्भ में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जुलाई 2025 को एक जिला व्यापी आदेश जारी किया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि कोई भी पुलिस स्टेशन उन स्थानों का दौरा नहीं कर सकता जहां मुकदमा चल रहा है, बिना न्यायालय की अनुमति के।
अगला कदम और अदालत का आदेश
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि राज्य सरकार को समान दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए 10 दिन का समय चाहिए। इस प्रार्थना को अदालत ने स्वीकार कर लिया और जौनपुर के पुलिस अधीक्षक को हलफनामा दाखिल करने के लिए भी 10 दिन का समय दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को होगी।
निष्कर्ष: न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम
यह कदम न केवल न्यायालय की प्रक्रिया को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि अधिवक्ताओं और उनके मुवक्किलों के बीच के संबंधों को भी संरक्षित करने में सहायक होगा। सुझावित दिशा निर्देशों से न्यायालय में मामलों की सुनवाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस मुद्दे पर और भी जानकारी के लिए, कृपया विज़िट करें Netaa Nagari।
इस प्रकार का निर्णय नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, जो कि लोकतंत्र में एक आवश्यक तत्व है। आशा है कि इन निर्देशों के माध्यम से सभी पक्षों के लिए न्याय की प्रक्रिया और प्रभावी हो सकेगी।
सादर,
टीम नेटा नगरी
राधिका शर्मा
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