प्रदेश के 7 सीमावर्ती जिलों के 229 स्कूलों का कायाकल्प, स्मार्ट क्लास से दी जाएगी नई दिशा
Lucknow : योगी सरकार ने सीमावर्ती सात जिलों में शिक्षा की तस्वीर बदलने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-2 के तहत इन जिलों पर खास फोकस किया जा रहा है। ऑपरेशन कायाकल्प के तहत अब तक 198 गांवों के 229 स्कूलों का कायाकल्प किया गया है। अब यहां बच्चे सिर्फ टाट-पट्टी … The post ‘प्रदेश के 7 सीमावर्ती जिलों के 229 स्कूलों का कायाकल्प’, आईसीटी-स्मार्ट क्लास से सजे विद्यालय! appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

प्रदेश के 7 सीमावर्ती जिलों के 229 स्कूलों का कायाकल्प, स्मार्ट क्लास से दी जाएगी नई दिशा
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कम शब्दों में कहें तो, योगी सरकार ने सीमावर्ती जिलों में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-2 के तहत 229 स्कूलों का कायाकल्प किया गया है। यह पहल बच्चों को आधुनिक शिक्षा सुविधाएँ प्रदान करने में मदद करेगी।
लखनऊ: योगी सरकार ने सीमावर्ती जिलों में शिक्षा की तस्वीर को बदलने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। इस मिशन के अंतर्गत, सीमावर्ती जिलों जैसे कि बहराइच, बलरामपुर, खीरी, महाराजगंज, पीलीभीत, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर में शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ऑपरेशन कायाकल्प के तहत 198 गाँवों के 229 स्कूलों का कायाकल्प किया गया है। अब बच्चे केवल परंपरागत तरीकों से नहीं, बल्कि स्मार्ट क्लास और टैबलेट्स की मदद से भी पढ़ाई कर रहे हैं।
परख परीक्षा में बच्चों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
सीमावर्ती जिलों में शिक्षा की स्थिति 2017 से पहले अच्छी नहीं थी। हालाँकि, हाल में हुए बदलावों और स्मार्ट क्लास के उपयोग के कारण बच्चों ने ग्रेड 3 और ग्रेड 6 की परीक्षाओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों को वीडियो और इंकस्ट्रक्शनल टेक्नोलॉजी के माध्यम से पढ़ाई करने से समझने की क्षमता में इजाफा हुआ है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि आने वाले वर्षों में नई ई-लर्निंग सुविधाओं से नामांकन तेजी से बढ़ेगा और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी।
आधुनिक सुविधाओं का समावेश
शिक्षा विभाग के अनुसार, 152 स्कूल अब सभी 19 पैरामीटर्स के माध्यम से सैचुरेटेड हो चुके हैं। इन पर ध्यान देने के साथ, छात्रों को स्कूलों में पीने का पानी, शौचालय, बिजली, और फर्नीचर जैसी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। प्रत्येक विद्यालय को 2-2 टैबलेट भी मिल चुके हैं। छात्रों का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि गांव के विद्यालय में उन्हें टैबलेट मिलेगा, जिसके माध्यम से वे कहानी पढ़ने और खेल-खेल में विषय समझने की प्रक्रिया में मदद पा रहे हैं।
भविष्य में नामांकन वृद्धि की उम्मीद
पिछले पांच वर्षों में सीमावर्ती जिलों में विद्यालयों में नामांकन का परिदृश्य बदल रहा है। 2024-25 के लिए नामांकन 38.45 लाख की संख्या तक पहुँच गया है। विभिन्न जिलों में विशेष अध्ययन करते हुए, सबसे अधिक छात्रों की संख्या खीरी में (करीब 8.9 लाख) है। इसके साथ ही, पिछले साल की तुलना में बहराइच, बलरामपुर, और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में भी अच्छे संकेत देखे जा रहे हैं। यह सब सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और सुधार कार्यक्रमों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
इस बदलाव का प्रभाव न केवल बच्चों की शिक्षा पर पड़ेगा, बल्कि समग्र विकास और शिक्षा की दिशा में बढ़ते जागरूकता को भी दर्शाता है। इस प्रकार के अनूठे सुधार सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा को नया आयाम देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
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सादर, टीम नेटा नगरी – प्रिया शर्मा
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