थानेदार ने कुर्सी छोड़कर दिव्यांग की सुनवाई की, इंसानियत की मिसाल पेश की!
निगोहां के मदापुर गांव में एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आई। शनिवार को थाने में सुरेंद्र नामक दिव्यांग अपने मामले की शिकायत लेकर पहुंचे। थानेदार अनुज कुमार तिवारी ने देखा कि दिव्यांग कुर्सी पर बैठ नहीं पा रहे हैं। इसके बाद थानेदार ने खुद अपनी कुर्सी छोड़ दी और जमीन पर बैठकर दिव्यांग … The post दिव्यांग की फरियाद सुनने थानेदार ने छोड़ी कुर्सी, जमीन पर बैठकर सुनी शिकायत! appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

थानेदार ने कुर्सी छोड़कर दिव्यांग की सुनवाई की, इंसानियत की मिसाल पेश की!
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कम शब्दों में कहें तो, निगोहां के मदापुर गांव से एक गहराई से प्रभावित करने वाली घटना सामने आई है। यहां शनिवार को एक दिव्यांग व्यक्ति सुरेंद्र अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंचे। थानेदार अनुज कुमार तिवारी ने जब देखा कि सुरेंद्र कुर्सी पर बैठ नहीं पा रहे हैं, तो उन्होंने न केवल अपनी कुर्सी को त्यागा, बल्कि खुद जमीन पर बैठकर उनकी समस्या को सुना। यह कृत्य स्थानीय लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई।
संवेदनशीलता की चमक: थानेदार का अनूठा कदम
इस दिल छू लेने वाली घटना ने न केवल सुरेंद्र को, बल्कि पूरे गांव के लोगों को प्रभावित किया। थानेदार ने स्पष्ट रूप से साबित किया कि पुलिस का कार्य केवल कानून व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सुरेंद्र ने कहा, "मैंने अपनी पूरी बात थानेदार को बताई और उन्होंने मेरी बात को ध्यान से सुना। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मुझे वास्तव में सुना जा रहा है।"
तत्काल कार्रवाई ने बढ़ाया विश्वास
थानेदार ने फौरन अपनी पुलिस टीम को गांव में भेजकर मामले की त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिससे सुरेंद्र को जल्दी ही इंसाफ मिला। स्थानीय लोगों ने थानेदार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसा उदाहरण है, जो दिखाता है कि पुलिस और जनता का संबंध केवल कानून तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इंसानियत और संवेदनशीलता भी महत्वपूर्ण हैं।
गांववासियों की टिप्पणियाँ
गांव के निवासियों का मानना है कि थानेदार अनुज कुमार तिवारी ने अपनी संवेदनशीलता और मानवता के द्वारा सभी का दिल जीत लिया है। एक निवासी ने कहा, "इस तरह के दृष्टांत हमारे लिए एक सीख हैं कि हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और समाज में सहानुभूति की भावना को बनाए रखना चाहिए।" ऐसे छोटे लेकिन प्रभावशाली कदम समाज को बेहतर दिशा में ले जाने में सहायता कर सकते हैं।
आशा की एक नई किरण
यह घटना यह दर्शाती है कि जब पुलिस प्रशासन संवेदनशीलता के साथ कार्य करता है, तब समाज में विश्वास और अधिक मजबूत होता है। हमें इस प्रकार के सकारात्मक उदाहरणों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की उम्मीद रखनी चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार की घटनाएं साबित करती हैं कि हमारे समाज में अभी भी संवेदनशीलता जीवित है। थानेदार अनुज कुमार तिवारी का यह प्रयास दिखाता है कि मानवता और कानून का समन्वय संभव है। हमें ऐसे प्रयासों का समर्थन करना चाहिए और समाज में एकजुटता की भावना को प्रोत्साहित करना चाहिए।
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रिपोर्ट लिखी है: खुशबू शर्मा, टीम Netaa Nagari
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