यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा की रद्दीकरण की आशंका समाप्त, हाईकोर्ट ने दी अनुमति
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को 28 सितंबर को प्रस्तावित मुख्य परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी है। हालाँकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि परीक्षा के परिणाम वर्तमान विशेष अपील के अंतिम निर्णय पर ही निर्भर होंगे। अब यह मामला 7 अक्तूबर 2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने लोक सेवा आयोग की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया। आयोग ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा के आयोजन की सभी तैयारियाँ पहले...
यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा अब निर्धारित तिथि पर होगी, हाईकोर्ट ने दी अनुमति
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कम शब्दों में कहें तो, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को 28 सितंबर को प्रस्तावित मुख्य परीक्षा आयोजित करने की मंजूरी दे दी है। हालाँकि, परीक्षा के परिणाम वर्तमान विशेष अपील के निर्णय पर निर्भर रहेंगे।
प्रयागराज में शुक्रवार को, न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने आयोग की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए यह आवश्यक आदेश जारी किया। यह जानकारी आयोग ने अदालत में स्पष्ट की कि परीक्षा के आयोजन की सभी प्रक्रियाएँ पूर्ण हो चुकी हैं।
परीक्षा की तैयारियाँ पूरी
आयोग ने बताया कि सभी प्रवेश पत्र जारी कर दिए गए हैं और परीक्षा केंद्रों का आवंटन भी किया जा चुका है। अदालत ने माना कि अगर परीक्षा अंतिम समय पर रद्द की जाती है, तो इससे 7,358 अभ्यर्थियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि समय पर परीक्षा आयोजित करना न्यायहित में होगा।
यह मामला सहायक अभियंता (सिविल/मैकेनिकल), जिला उद्यान अधिकारी, खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी और अन्य तकनीकी सहायक पदों से संबंधित है। कोविड-19 के चलते समय समय पर परीक्षा का आयोजन आवश्यक था, ताकि अभ्यर्थियों को अधिक संकट का सामना न करना पड़े।
विशेष अपील में दी गई है अनुमति
अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर 2025 को होगी। परीक्षा स्थगित करने वाले एकलपीठ के 25 सितंबर 2025 के आदेश पर रोक लगा दी गई है, जो रजत मौर्य और 41 अन्य की याचिका पर आधारित था।
आयोग ने दिसंबर 2024 में 609 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, परंतु याचियों ने दावा किया था कि आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा परिणामों में विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन किया है। उनके मुताबिक, मुख्य परीक्षा में 15 गुना अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया जाना चाहिए था, जबकि आयोग ने केवल 7,358 अभ्यर्थियों को ही चुना।
इसके साथ ही, आरक्षित वर्ग के कई उम्मीदवारों ने यह शिकायत की है कि उन्हें खुली श्रेणी में नहीं रखा गया मोह्र स्पष्ट अंक प्राप्त करने के बाद भी। अदालत ने इस मामले में आयोग को नई मेरिट सूची तैयार करने का आदेश दिया तथा तब तक मुख्य परीक्षा आयोजित करने पर रोक लगा दी थी।
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समग्र रूप से यह निर्णय यूपीपीएससी के लिए एक राहत की खबर है और इससे अभ्यर्थियों को अपने भविष्य के लिए सकारात्मक आशाएँ जुड़ गई हैं।
सभी अध्यावधियाँ और अनुग्रह योजनाएँ इस समस्त प्रक्रिया को पारदर्शी और टिकाऊ बनाएँगी, जिससे सभी को समान अवसर मिल सके।
सादर,
टीम नेटा नगरी, साक्षी शर्मा
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