इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली के खिलाफ कार्यवाही पर दी तत्क्षण रोक

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को जामा मस्जिद संभल के सदर जफर अली के खिलाफ अगले आदेश तक किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने उनकी याचिका को संभल के सांसद जिया उर्रहमान की लंबित याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया है। अब दोनों याचिकाओं पर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में एक साथ सुनवाई होगी।  गौरतलब है कि 24 नवंबर 2024 को संभल जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 और लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन संभल, जिला संभल (भीम...

Sep 16, 2025 - 00:37
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली के खिलाफ कार्यवाही पर दी तत्क्षण रोक

कम शब्दों में कहें तो, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद संभल के सदर जफर अली के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर अगली सूचना तक रोक लगा दी है। इस मामले में सांसद जिया उर्रहमान की याचिका भी शामिल की गई है, और दोनों याचिकाओं की सुनवाई अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में होगी।
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को जामा मस्जिद के सदर जफर अली के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश के तहत कोर्ट ने जफर अली की याचिका को संभल के सांसद जिया उर्रहमान की लंबित याचिका के साथ जोड़ने का निर्देश दिया है। आगामी सुनवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होने की संभावना है।

संभल जामा मस्जिद हिंसा का मामला

यह मामला 24 नवंबर 2024 को संभल जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा से संबंधित है। पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता, 2023 और लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था।.

इस मामले में सपा सांसद जिया उर्रहमान और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल समेत कई अन्य लोगों के नाम शामिल थे। हालांकि, जफर अली का नाम एफआईआर में नहीं था, फिर भी पुलिस ने 23 मार्च 2025 को उनकी गिरफ्तारी की थी। उन्हें हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

जमानत की मंजूरी और हाईकोर्ट की सुनवाई

24 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली की जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया था, जिसके बाद वे जेल से बाहर आए। अब जफर अली ने हाईकोर्ट में पूरी कार्यवाही रद्द करने और पुलिस की चार्जशीट पर रोक लगाने की मांग की है। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की है।

निष्कर्ष

यह मामला अदालत के सम्मुख लंबित है, और आगे की सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि जफर अली के खिलाफ आरोप कितने सही हैं। उनकी याचिका का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत क्या निर्णय लेती है। अब सभी की नजरें आगामी सुनवाई पर हैं, जिससे इस प्रकरण का निष्कर्ष सामने आएगा।

इसके अलावा, न्यायालय के इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखना एक चुनौती है, और जनहित के मामलों पर अदालत की प्रतिक्रिया समय समय पर महत्वपूर्ण होती है।
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सुश्री दीप्ति शर्मा
Team Netaa Nagari

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