बरेली जाने से पूर्व सांसद दानिश अली को नजरबंद किया गया, पुलिस से भिड़ंत
अमरोहा, अमृत विचार। बरेली जाने की सूचना पर पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली को पुलिस व प्रशासन ने हाउस अरेस्ट कर लिया। सुबह तड़के से ही उनके घर पुलिस फोर्स लगा दी गई थी। जैसे ही वह कार से जाने लगे तभी पुलिस ने गेट का ताला लगा दिया। बाहर निकलने को लेकर खूब नोकझोंक हुई। दानिश अली ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है। कहा कि उन्हें जानबूझकर रोकने की कोशिश की जा रही है। बुधवार की सुबह से ही पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर...

बरेली जाने से पूर्व सांसद दानिश अली को नजरबंद किया गया, पुलिस से भिड़ंत
कम शब्दों में कहें तो, पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली को बरेली जाने से रोकने के लिए पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर दिया है। उन्होंने इस कार्रवाई को बिना किसी वजह के गलत ठहराया है। ब्रेकिन्ग न्यूज, डेली अपडेट्स & एक्सक्लूसिव स्टोरीज़ - नेटaa नगरी
अमरोहा से विशेष संवाददाता। बुधवार की सुबह की शुरुआत में पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली को बरेली जाने से रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस ने उनके घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया। यह जानकारी मिली थी कि दानिश अली बरेली जा रहे हैं, जिसके कारण कानून-व्यवस्था में अस्थिरता उत्पन्न होने की संभावना थी। इस मामले में पुलिस ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए उनके घर के बाहर बैरिकेडिंग कर दी और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी।
सुबह तड़के से ही उनके घर के बाहर पुलिस की मौजूदगी बढ़ गई थी। जैसे ही दानिश अली अपनी कार में बैठकर बाहर जाने लगे, पुलिस ने गेट का ताला लगा दिया। इस दौरान उनकी और पुलिस अधिकारियों की नोकझोंक भी हुई। दानिश अली ने इस कदम को स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया, यह कहते हुए कि उन्हें जानबूझकर रोका जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई की जांच की आवश्यकता
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए दानिश अली ने कहा, “प्रदेश में लॉ एंड आर्डर नाम की कोई चीज नहीं है। न तो हम घर में सुरक्षित हैं और न ही बाहर। मैं बरेली में बेगुनाह लोगों से मिलने जा रहा था, लेकिन सरकार ने मुझे रोकने के लिए यह कदम उठाया।” उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में हाल की घटनाओं के बाद इस तरह की पुलिसिंग न केवल अशोभनीय है, बल्कि यह हमारे संविधान का भी उल्लंघन है।
कांग्रेस के अन्य नेता भी इस मामले में उनके साथ मौजूद रहे, जिन्होंने कहा कि इस तरह की नौकरशाही का कार्य राजनीतिक दबाव का परिणाम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नैतिकता और लोकतंत्र की दृष्टि से इस घटना की सही तरीके से जांच की जाएगी।
कानून-व्यवस्था पर सवाल
कुंवर दानिश ने आगे कहा, "बरेली कांड के बाद अधिकांश बेगुनाह लोगों को जेलों में डाल दिया गया है। इस देश में लोकतंत्र का क्या हुआ? संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हम गांधी के अनुयायी हैं और शांति में विश्वास रखते हैं।" उनके बोल से स्पष्ट नजर आता है कि उनका उद्देश्य केवल कर्तव्यों का पालन करना और नागरिकों से मिलना था।
इस दौरान, एसडीएम सदर विजय दुबे, सीओ अवधमान भदौरिया और नगर कोतवाल पंकज तोमर भी घटनास्थल पर मौजूद थे। जो न केवल प्रशासनिक शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे, बल्कि इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी थे।
कुंवर दानिश के हाउस अरेस्ट की यह घटना चुनावी माहौल में राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है। ऐसे में, राजनीतिक विद्वेष और प्रशासनिक तंत्र के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। यह भी सवाल उठता है कि क्या सचमुच लोकतंत्र में इस तरह से किसी के अधिकारों का हनन किया जा सकता है?
अंत में, यह घटना न केवल दानिश अली के लिए, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए और अधिक सजग रहने की आवश्यकता है।
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सादर, टीम नेटaa नगरी
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