हरिद्वार: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सीएम धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में लिया भाग

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला […] The post Haridwar:-देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में शामिल हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सीएम धामी appeared first on संवाद जान्हवी.

Sep 17, 2025 - 18:37
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हरिद्वार: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सीएम धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में लिया भाग
हरिद्वार: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सीएम धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में लिया भाग

हरिद्वार: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सीएम धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में लिया भाग

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कम शब्दों में कहें तो, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित इण्डियन ए.आई समिट में भाग लिया। यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण तकनीकी और आध्यात्मिक विचारों के समावेश पर केंद्रित था।

इस समारोह की शुरुआत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या और अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की संस्कृति और ज्ञान को ए.आई के माध्यम से विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना था।

ए.आई का आध्यात्मिक संदर्भ

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि आधुनिक युग में ए.आई की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि ए.आई का आध्यात्मिक मूल्यों के साथ समावेषन होना आवश्यक है। बिरला ने कहा, "आज अनेक क्षेत्र में ए.आई का उपयोग हो रहा है। हमें विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय करते हुए ए.आई के माध्यम से पूरी दुनिया तक भारतीय ज्ञान और संस्कृति को पहुंचाने की दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए।"

मुख्यमंत्री का आभार एवं सांस्कृतिक विस्तार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सम्मेलन के आयोजन के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय और डॉ चिन्मय पाण्ड्या का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को एक अद्वितीय संगम बताया, जिसमें ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म का समावेश है। धामी ने कहा, "हमारी सनातन संस्कृति एक गहरी वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिणाम है, जिसने विश्व को अनगिनत वैज्ञानिक खोजें दी हैं।"

ए.आई का व्यापक प्रभाव

मुख्यमंत्री ने ए.आई के प्रभाव को विस्तार से बताते हुए कहा कि यह न केवल हमारे दैनिक जीवन को आसान बना रहा है, बल्कि उद्योग, चिकित्सा, शिक्षा, कृषि जैसे क्षेत्रों में भी नवाचार के लिए प्रमुख कारण बन रहा है। उन्होंने कहा, "अगर हम ए.आई की शक्ति का सही दिशा में उपयोग करें, तो यह लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।"

नैतिकता और डेटा सुरक्षा की जरूरत

इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए स्थापित विशेष आयोग के एशिया क्षेत्र के कमिश्नर डॉ चिन्मय पंड्या ने उपस्थित अतिथियों को बताया कि ए.आई अब केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग और सुरक्षा क्षेत्रों में क्रांति ला रही है। हालांकि, इसके साथ ही नैतिकता, गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और रोजगार पर इसके प्रभाव को लेकर अनेक चिंताएं भी प्रकट की जा रही हैं।

वैश्विक दृष्टिकोण

इस सम्मेलन में स्विट्जरलैंड के इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के सेक्रेटरी जनरल श्री मार्टिल चुंगोंग ने वीडियो संदेश के माध्यम से ए.आई की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया। कई अन्य ए.आई विशेषज्ञों, जैसे भारत सरकार के ए.आई मिशन के सीईओ डॉ अभिषेक सिंह, रॉबर्ट ट्रैगर, विलियम जोन्स, और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सचिन चतुर्वेदी ने भी अपने विचार साझा किए। यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना, जहां विचारों का आदान-प्रदान हुआ और ए.आई के संभावित दिशा में चर्चा की गई।

प्रतिभागियों की उपस्थिति

इस सम्मेलन में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिनमें विधायक मदन कौशिक, पूर्व विधायक स्वामी यतीश्वरानंद, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, राज्य मंत्री डॉ जयपाल सिंह चौहान, जिला अध्यक्ष आशुतोष शर्मा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोभाल जैसे लोग शामिल थे। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी इस महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बने।

इस प्रकार से, ए.आई समिट ने न केवल तकनीकी नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्म के समन्वय का भी परिचय दिया। इस सम्मलेन से यह स्पष्ट हो गया कि ज्ञान और तकनीकी का समन्वय भविष्य की दिशा में नई संभावनाएं उजागर कर सकता है।

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सादर, टीम नेटा नगरी
(सुमन शर्मा)

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